ईद-उल-अजहा 2025: बांग्लादेश में 91 लाख से अधिक पशुओं की कुर्बानी, गायों की संख्या सबसे ज्यादा
Bangladesh News: बांग्लादेश में 6-7 जून 2025 को ईद-उल-अजहा 2025 के मौके पर 91 लाख से ज्यादा पशुओं की कुर्बानी दी गई। मत्स्य पालन और पशुधन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस साल गायों और भैंसों की संख्या बकरियों से अधिक रही। यह त्योहार पैगंबर इब्राहिम की भक्ति को याद करता है। लाखों परिवारों ने इस अवसर पर एकजुटता और उदारता दिखाई।
बांग्लादेश में कुर्बानी के आंकड़े
मंत्रालय के अनुसार, ईद-उल-अजहा 2025 में 47.5 लाख गाय और भैंसें कुर्बान हुईं। वहीं, 44.3 लाख बकरियां और भेड़ें थीं। अन्य पशु भी शामिल थे। करीब 33.1 लाख पशु नहीं बिके। इनका उपयोग अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में हो सकता है। कुर्बानी के बाद मांस को तीन हिस्सों में बांटा गया। एक हिस्सा परिवार, दूसरा रिश्तेदारों और तीसरा गरीबों के लिए था।
क्षेत्रवार कुर्बानी का विवरण
बांग्लादेश के विभिन्न क्षेत्रों में कुर्बानी की संख्या अलग-अलग रही। नीचे प्रमुख डिवीजनों के आंकड़े हैं:
- राजशाही: 23.24 लाख पशु
- ढाका: 21.85 लाख पशु
- चटगांव: 17.53 लाख पशु
- रंगपुर: 9.64 लाख पशु
- खुलना: 8.04 लाख पशु
- बारिसाल: 4.7 लाख पशु
- मयमनसिंह: 3.83 लाख पशु
- सिलहट: 3.19 लाख पशु
राजशाही में सबसे ज्यादा और सिलहट में सबसे कम कुर्बानी हुई।
ईद-उल-अजहा का महत्व
ईद-उल-अजहा 2025 पैगंबर इब्राहिम के बलिदान को याद करता है। उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे की कुर्बानी देने की इच्छा दिखाई। अल्लाह ने उनकी भक्ति स्वीकार की और बेटे की जगह मेमने की कुर्बानी दी। बांग्लादेश में लोग सुबह ईद की नमाज अदा करते हैं। फिर तीन दिन तक कुर्बानी होती है। मांस बांटकर गरीबों की मदद की जाती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू
बांग्लादेश में ईद-उल-अजहा 2025 ने समुदायों को जोड़ा। लोग नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ने गए। बाजारों में पशुओं की खरीदारी से उत्साह रहा। परिवारों ने मांस से स्वादिष्ट पकवान बनाए। यह त्योहार विश्वास और उदारता का प्रतीक है। बांग्लादेश की सड़कों पर भाईचारे का माहौल देखने को मिला।