#LightOverDarkness

2020-02-04

देश कागज़ पर बना नक्शा नहीं होता,
कि एक हिस्से के फट जाने पर बाकी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहें

और नदियाँ, पर्वत, शहर, गाँव
वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें, अनमने रहें

इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ा कुछ भी नहीं है,
न ईश्वर, न ज्ञान, न चुनाव

कागज़ पर लिखी कोई भी इबारत फाड़ी जा सकती है,
और ज़मीन की सात परतों के भीतर गाड़ी जा सकती है

जो विवेक खड़ा हो लाशों को टेक,
वह अंधा है

जो शासन चल रहा हो बंदूक की नली से,
हत्यारों का धंधा है

~ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

2020-02-03

क़दम जो उठ चले हैं, रुकना इन्हें गँवारा नहीं.

हौंसले बुलंद हैं, कमज़ोर इस दफ़ा जज़्बा नहीं.

रंजिशों में महबूस रहा रूह हुर्रियत को तैयार है,

मुल्क मेरा अब जल्द ही आज़ाद है आज़ाद है.

शुरू हुआ जो सिलसिला ख़त्म होगा तब तक नहीं,

अश्क़ हर मफ़लूक के मिट जाएँगे जब तक नहीं.

चिराग़ की इस रोशनी को, जले रहना अभी कुछ और है.

मुलाक़ातें तूफ़ान से, बाक़ी अभी कुछ और हैं, बाक़ी अभी कुछ और हैं.

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