फिर क्या डोल रही है नीतीश का मन? बिहार में खरमास के बाद होगा बड़ा '
बिहार की सूची में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन की घटनाएं तेज हो गई हैं। इस बार भी नजर आईं बिहार के सीएम नीतीश कुमार और राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि खरमास खत्म हो गया है इसलिए बिहार की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आ सकता है। नेताओं और सिद्धांतों का मानना है कि अगले कुछ दिनों में राज्य में कोई नई राजनीतिक दिशा देखने को मिल सकती है।
बॅल का एक कथन और सांख्यिकी में हलचल
ख्यात प्रमुख विश्वास यादव के एक बयान में कहा गया है कि बिहार के ऑटोमोबाइल में हलचल मचा दी है। हाल ही में, वफादार यादव ने कहा था कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं और उन्हें भी अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर नीतीश कुमार आते हैं, तो उनका साथ क्यों नहीं लेते, हम उनका भी साथ देते हैं। इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में उत्साह और विकास तेज हो गए हैं। राजनीतिक के बीच इस बात की चर्चा है कि बिहार में खरमास के बाद सत्ता में बदलाव हो सकता है.
नीतीश-तेजस्वी की तस्वीर के कई मायने
नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की एक तस्वीर ने बिहार की नागरिकता में नई चर्चाएं शुरू कर दी हैं। इस तस्वीर में सीएम नीतीश कुमार तेजस्वी यादव की ओर से उनके हाथ पकड़ते हुए मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं, नीतीश कुमार का हाथ जोड़कर उन्हें सहारा दे रहे हैं। इस तस्वीर को लेकर बिहार की एक्सपोर्ट गलियारों में तरह-तरह की यात्रा निकाली जा रही है और इसे सत्य के नए अनुपातों से जोड़ा जा रहा है।
2024 में हरमास के बाद बदली थी बिहार की नागरिकता
28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार ने बड़े राजनीतिक कदम उठाते हुए इंडिया ब्लॉक में शामिल होने का निर्णय लिया था। इसके साथ ही उन्होंने एनालॉग सरकार को गिरा दिया और भाजपा के सहयोग से नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। 14 जनवरी के बाद खरमास समाप्त हो गया है और 2024 में खरमास के बाद बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। अब, इस घटना के बाद बिहार में सत्ता परिवर्तन को लेकर फिर से स्टॉक्स का बाजार गर्म हो गया है। वर्ष 2024 में खरमास 15 दिसंबर से प्रारंभ होकर 14 जनवरी 2025 को समाप्त होगा।
अमित शाह का एक बायन और शुरू हुआ समर्थकों का दौर
बिहार विधानसभा चुनाव में 7-8 महीने का समय मुश्किल है। इस राजनीतिक चर्चा की शुरुआत तब हुई जब एक कॉन्फिडेंस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने पूछा कि बिहार में बीजेपी की रणनीति क्या होगी और नेता कौन होगा? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि यह फैसला बीजेपी का संसदीय बोर्ड होगा. यह बयान इसलिए दिया गया क्योंकि इससे पहले पार्टी और बीजेपी के नेता बार-बार यह कहा जाता था कि बिहार में वझे के नेता नीतीश कुमार ही रहेंगे. अमित शाह के इस बयान के बाद नोएडा के नेताओं में संशय का जन्म हुआ.
'बिहार में बीजेपी की अपनी सरकार हो…'
इससे पहले जब देश भर में अटल बिहारी वाजपेयी का 100वां जन्मदिन मनाया जा रहा था, उसी समय बिहार के विजय सिन्हा के एक बयान ने राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी। विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार में बीजेपी की अपनी सरकार हो, यह अटल बिहारी परिवार का सपना था और इसे हम पूरा कर सकते हैं। इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर चर्चा तेज हो गई. हालांकि, बाद में विजय सिन्हा ने सार्जेंट पर यह बयान दिया और कहा कि बिहार में नेतृत्व नीतीश कुमार के पास ही रहेंगे। लेकिन उनके पहले बयान में ओलेग एलायंस और सोल्जर-बीजेपी के रिश्ते पर सवाल कर दिए गए।
वॅचेम से नवागत का पुराना रिश्ता
नीतीश कुमार और बीजेपी का रिश्ता अटल बिहारी पार्टी के गठबंधन से काफी पुराना है। 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की स्थापना के समय से ही यह गठबंधन गठबंधन में है। उस समय नोएडा, जो पहले समता पार्टी के नाम से जाना जाता था, भाजपा के साथ गठबंधन में थी। जॉर्ज फर्नांडिस को एक हवाई अड्डे का आदेश भी दिया गया था।
कम से कम, फिर भी सीएम हिंदुत्व
पिछले चुनाव के नतीजों पर नज़र डालें तो नोएडा (जनता दल यूनाइटेड) ने बीजेपी से भारी बहुमत से चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे भारी नुकसान हुआ था। भाजपा को काफी कम रेटिंग मिली, जबकि भाजपा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा। बीजेपी की स्ट्राइक रेट हमेशा की तरह शानदार रही और वह नंबर दो की पार्टी बनकर उभरी थी. पिछले चुनाव के नतीजों के बावजूद, बीजेपी ने कम से कम प्रतिभागियों के स्वागत के बाद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का फैसला सुनाया था। यह निर्णय गठबंधन गठबंधन की टीम और बीजेपी-जेडीयू के रिश्तों की गहराई को बताया गया था। लेकिन अब चर्चाएं तेज हो रही हैं क्योंकि महाराष्ट्र में हाल ही में कुछ ऐसा हुआ है, जिसने बिहार की राजनीति में स्थिरता को जन्म दिया है.
Source link
Share this:
#तजसवयदव #तरहवयदव #नतशकमर #बहरनयज_ #बहररजनतनयज_ #बहररजनतसमचर #बहरसमचर #ललयदव #सवयदव