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2025-01-24

वाटर बम की तरह के बांध का इस्तेमाल चीन में किया जा सकता है… : ड्रैगन के सिलिकॉनपावर प्रोजेक्ट पर बोले डेमोक्रेटिक सीएम


ईटानगर:

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो नदी पर दुनिया के सबसे बड़े जलविद्युत बांध के निर्माण को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना ​​है कि यह प्रोजेक्ट अरुणाचल प्रदेश, असम और बांग्लादेश में लाखों लोगों की जल सुरक्षा, प्रशिक्षण और सामान के लिए बड़ा खतरा पैदा करता है। उन्होंने कहा कि जल प्रवाह, बाढ़ और तंत्रिका तंत्र में श्वासनली के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। खांडू ने कहा कि चीन अपने सिलिकॉन पावर डैम प्रोजेक्ट में वॉटर बॉम्ब की तरह इस्तेमाल कर सकता है।

पेमा खांडू ने यारलुंग त्सांगपो नदी पर आयोजित विश्व की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना के निर्माण की चीनी योजना पर 'पर्यावरण और सुरक्षा' विषय पर बात की। बता दें कि यारलुंग त्सांगपो नदी डेमोक्रैट प्रदेश में सियांग के रूप में प्रवेश करती है और बांग्लादेश से पहले असम में ब्रह्मपुत्र बन जाती है।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चेतावनी दी है कि चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो नदी पर बांध बनाने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि बांध के निर्माण से चीन को नीचे की ओर पानी के समय और मात्रा को नियंत्रित करने की शक्ति मिल जाएगी, जिससे सूखे या कम प्रवाह के दौरान विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। खांडू ने बताया कि समुद्र में विशाल सियांग या ब्रह्मपुत्र नदी का विलय हो सकता है, जिसके कारण सियांग बेल्ट और असम के मैदानी क्षेत्र में जनजीवन अस्त-विस्तार हो जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि मानसून के दौरान बांध से अचानक पानी छूटने से भयंकर बाढ़ आ सकती है, जिससे प्लास्टिसिटी का टूटना, नमी का नष्ट होना और प्लास्टिसिटी का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, बांध से तलछट के प्रवाह में बदलाव होगा, जिससे कृषि भूमि प्रभावित हो सकती है, जिसे नदी से मिलने वाले पोषक तत्वों पर प्रतिबंध है।

खांडू ने यह भी उल्लेख किया कि भारत की प्रमुख नदियां तिब्बती आक्रमणकारियों से वंचित हैं और चीन द्वारा तिब्बत के प्राकृतिक असंतुलन का दोहन इन नदियों के लिए खतरा है। तिब्बत को 'एशिया का जल मीनार' कहा जाता है, जो एक अरब से अधिक लोगों को पानी की आपूर्ति करता है। इसलिए, तिब्बत की नदियों की जलवायु और प्रकृति पर भारत की प्रत्यक्ष कनेक्टिविटी को देखते हुए उन्होंने भारत से वैश्विक पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका की आवश्यकता की बात की।


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