रिंकू सिंह: यूपी सरकार ने क्रिकेटर को दिया बीएसए बनने का प्रस्ताव, जानें क्या है राह में चुनौतियां #News #RinkuSingh #BSAOfficer
रिंकू सिंह: यूपी सरकार ने क्रिकेटर को दिया बीएसए बनने का प्रस्ताव, जानें क्या है राह में चुनौतियां #News #RinkuSingh #BSAOfficer
रिंकू सिंह: यूपी सरकार ने क्रिकेटर को दिया बीएसए बनने का प्रस्ताव, जानें क्या है राह में चुनौतियां
Uttar Pradesh News: भारतीय क्रिकेटर रिंकू सिंह को उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के पद पर नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की है। यह नियुक्ति अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता सीधी भर्ती नियमावली-2022 के तहत प्रस्तावित है। लेकिन, उनकी शैक्षिक योग्यता इस राह में सबसे बड़ी बाधा है। रिंकू ने केवल आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है, जबकि बीएसए के लिए स्नातकोत्तर डिग्री अनिवार्य है। यह खबर चर्चा में है।
शैक्षिक योग्यता की चुनौती
रिंकू सिंह के सामने बीएसए बनने की राह में शैक्षिक अर्हता सबसे बड़ी अड़चन है। नियमावली के अनुसार, इस पद के लिए स्नातकोत्तर डिग्री और बी.एड. अनिवार्य है। रिंकू ने हाईस्कूल भी पास नहीं किया है। नियमों में सात वर्षों की शिथिलता का प्रावधान है, लेकिन स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने में आठ साल लग सकते हैं। यह स्थिति उनकी नियुक्ति को जटिल बना रही है। क्या सरकार कोई रास्ता निकालेगी?
सरकारी नीति और नियुक्ति की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार की नीति के तहत अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी जाती है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने रिंकू सिंह समेत सात खिलाड़ियों को श्रेणी-2 के राजपत्रित अधिकारी पदों पर नियुक्ति की सिफारिश की। लेकिन, बीएसए पद के लिए अंतिम निर्णय अभी नहीं हुआ है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, रिंकू की नियुक्ति के विभाग में बदलाव की संभावना है। यह प्रस्ताव अभी विचाराधीन है।
अन्य खिलाड़ियों की नियुक्ति
रिंकू के साथ छह अन्य खिलाड़ियों को भी राजपत्रित अधिकारी पदों पर नियुक्त करने का प्रस्ताव है। इनमें प्रवीण कुमार, राजकुमार पाल, अजीत सिंह, सिमरन, प्रीति पाल और किरन बालियान शामिल हैं। यह नियुक्तियां उत्तर प्रदेश सरकार की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नीति के तहत हो रही हैं। इन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है। लेकिन, रिंकू की नियुक्ति पर चर्चा सबसे ज्यादा है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
रिंकू सिंह की प्रस्तावित नियुक्ति की खबर वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग उनकी उपलब्धियों की सराहना कर रहे हैं, जबकि अन्य उनकी शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं। कई यूजर्स का मानना है कि नियमों में छूट दी जा सकती है, लेकिन कुछ का कहना है कि यह अन्य योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा। यह मामला अभी गर्म है।