#HighCourtNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-28

IPS इल्मा अफरोज की तैनाती पर हाई कोर्ट ने गृह सचिव और डीजीपी को भेजा नोटिस, जानें कब होगी अगली सुनवाई

Himachal News: IPS अधिकारी इल्मा अफ़रोज़ की तैनाती को लेकर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट सख्त नजर आ रहा है। हाई कोर्ट ने सुच्चा सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए गृह सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी को तय की है।

लंबी छूटी पर जाने के बाद इल्मा अफ़रोज़ की 16 दिसंबर से पुलिस मुख्यालय में तैनाती दी गई है जबकि BBN के लोगों ने बद्दी में उनकी तैनाती की मांग की है।न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता सूचा सिंह द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए। प्रार्थी ने इस मामले में हाईकोर्ट से उपयुक्त आदेश जारी करने की मांग करते हुए कहा कि इल्मा अफरोज की बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़, जिला सोलन में तैनाती से वहां की आम जनता कानून के हाथों सुरक्षित महसूस करेगी।

साथ ही क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी ड्रग माफियाओं और खनन माफियाओं के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित हो पाएगी।प्रार्थी के एडवोकेट का कहना है कि जब से इल्मा अफरोज को साल 2024 में पुलिस अधीक्षक, बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ के रूप में तैनात किया गया था तब से क्षेत्र में कानून के राज को लागू किया था। एनजीटी द्वारा जारी सभी निर्देशों के साथ-साथ हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा पारित सभी आदेशों को लागू किया।

#DGPNews #highCourtNews #himachalNews #HomeSecretaryNews #IPSIlmaAfrozNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-28

मंडी के धर्मपुर में बालन के कटान पर हाई कोर्ट ने जारी किए सख्त आदेश, कहा, प्रतिबंधित पेड़ों का न हो कटान

Shimla News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंडी के धर्मपुर में बालन की लकड़ी के कटान सहित अंधाधुंध पेड़ काटने के मामले में सरकार को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि वहां पर कोई अवैध तरीके से प्रतिबंधित प्रजातियों के पेड़ों का कटान न हो। अगर कोई नियमों का उल्लंघन करते हुए और बिना परमिट के पेड़ काटते हुए पाया जाए तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इस मामले में रिन्यूवल ऊर्जा कंपनी को दस्ती नोटिस जारी किया गया है। इस कंपनी की निदेशक एक नेता की पत्नी हैं। मामले की अगली सुनवाई एक जनवरी को होगी।

याचिकाकर्ता ने याचिका में सात लोगों को प्रतिवादी बनाया है, जिनमें से अदालत ने एक से चार क्रम तक रखे गए प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर दिए हैं। इनमें सचिव वन, डीएफओ जोगिंद्रनगर, रेंज वन अधिकारी धर्मपुर और रेंज अधिकारी कमलाह शामिल हैं। पांचवां प्रतिवादी एक रिन्यूवल ऊर्जा कंपनी की निदेशक को बनाया गया है, जो एक नेता की पत्नी हैं। इस कंपनी निदेशक को दस्ती नोटिस जारी किया गया है। कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि पेड़ों का अंधाधुंध कटान किया जा रहा है और इन्हें बेचा जा रहा है। एसपी मंडी के अलावा एक अन्य महिला को भी प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि इस क्षेत्र में घरेलू इस्तेमाल के लिए काटे जा रहे पेड़ों के साथ और पेड़ भी काटे जा रहे हैं, जिन्हें बाद में बेचा जा रहा है। उधर, धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में हुए इस पेड़ कटान की जांच के लिए भाजपा ने विधायकों की एक कमेटी भी बनाई है। यह कमेटी अपने स्तर पर मामले की जांच कर रही है।

41 लोगों को करुणामूलक नौकरियां देने का क्या था आधार, हलफनामा दें सीएस : कोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नियमों को ताक पर रखकर करुणामूलक आधार पर नौकरियां देने के मामले में सरकार और स्वास्थ्य विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य विभाग पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि करुणामूलक नौकरियां देते समय कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई। जिसकी राजनीति में पैठ है, उसे ही फायदा दिया जा रहा है। आम लोगों की सुनवाई कहीं भी नहीं हो रही है। उनके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत तौर पर इस पर हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए हैं कि 5 फीसदी करुणामूलक कोटे के तहत 41 लोगों को किस आधार पर नौकरी दी गई है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने कहा कि जिसकी व्यवस्था में पहुंच है, उसी की चल रही है। अदालत ने सरकार को याचिकाकर्ता को तत्काल नियुक्ति प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि आवेदक का नाम करुणामूलक सूची में 5वें नंबर पर है। इसके बाद भी विभाग ने उसके नीचे वाले 41 लोगों को क्लर्क की नौकरियां दे दीं। अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। न्यायाधीश गोयल की अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने क्लर्क के पद पर अनुकंपा के आधार पर उन लोगों को नियुक्तियां दे दीं, जिनके माता-पिता व पति-पत्नी की मौत वर्ष 2013 में याचिकाकर्ता के बाद हुई है।

क्या है मामला

आवेदक की मां स्वास्थ्य विभाग में वार्ड सिस्टर के पद पर तैनात थीं। वर्ष 2013 में उनकी मौत हो गई। आवेदक ने 2014 में स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा आधार पर करुणामूलक नौकरी के लिए 5 फीसदी कोटे के तहत आवेदन किया। इस सूची में उसका नाम पांचवें नंबर पर था। विभाग ने साल 2022 में इसके आवेदन को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ वर्ष 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने वर्ष 2023 में इस मामले का निपटारा करते हुए विभाग को 5 फीसदी कोटे के तहत इस पर ताजा निर्णय लेने के आदेश दिए। विभाग ने इसके बाद इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। याचिकाकर्ता ने उसके बाद अदालत के आदेशों को लागू करने के लिए निष्पादन याचिका दायर की। अदालत ने अपने पिछले आदेश में विभाग को आदेश दिए थे कि 18 मई 2013 के बाद 5 फीसदी कोटे में क्लर्क पद पर कितनी नियुक्तियां की गई हैं। इस पर स्वास्थ्य विभाग के निदेशक की ओर से अदालत में पेश हलफनामे में बताया गया कि 41 लोगों को 5 फीसदी कोटे के तहत नियुक्तियां दी गई हैं।

#DharmpurNews #highCourtNews #himachalNews #mandiNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-28

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित प्रजातियों के पेड़ों की लड़की की बिक्री पर लगाई रोक

Shimla News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य में प्रतिबंधित प्रजातियों के पेड़ों की लकड़ी की बिक्री पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह संबंधित कानून, नियमों और अधिसूचना के मद्देनजर यह सुनिश्चित करे कि पेड़ों का परिवहन बिना परमिट के न किया जाए।

इसके साथ ही निजी तौर पर गठित प्रतिवादी बाहरी रिन्यूएबल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक धर्मपुर निवासी कविता और अमृतलाल को भी बिना किसी वैध परमिट के प्रतिबंधित प्रजातियों के पेड़ों को काटने के बाद परिवहन करने पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की खंडपीठ ने सुरेंद्र पाल सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान उक्त आदेश पारित किए।

#highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-27

लूहरी परियोजना के प्रभावितों को जारी 76 लाख रुपए कहां गए, हाई कोर्ट ने सरकार के हलफनामे पर जताया असंतोष

Himachal News: सतलुज जल विद्युत निगम प्रबंधन द्वारा लूहरी परियोजना प्रभावितों को जारी की गई 76 लाख रुपये की मुआवजा राशि के आवंटन पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि राहत राशि कहां गई। कोर्ट ने मामले में सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे पर असंतोष जताया है और न्यायमित्र को इस पर अपनी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

लूहरी परियोजना में अंधाधुंध ब्लास्टिंग के कारण नरोला गांव के लोगों को जान-माल का खतरा बना हुआ है। अवैज्ञानिक ब्लास्टिंग के कारण घरों में दरारें आ गई हैं। लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का लोगों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है। बादाम और सेब के बाग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। गांव के ऊपर पहाड़ियां और बड़ी चट्टानें हैं, जिनसे पत्थर गिर रहे हैं और उनमें दरारें आ गई हैं। नरोला के लोगों ने 16 नवंबर 2021 को हाईकोर्ट को पत्र लिखकर परियोजना से हुए नुकसान और यथास्थिति से अवगत कराया था।

पत्र का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने एसजेवीएन के साथ राज्य सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और ग्राम पंचायत को पक्षकार बनाकर स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए थे। आईआईटी रुड़की ने जांच कर रिपोर्ट में बताया कि मकानों में दरारें ब्लास्टिंग के कारण आई हैं। इस पर कोर्ट ने सरकार और कंपनी को दरारें भरने के निर्देश दिए थे।

एसजेवीएन ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रभावित लोगों की दरारें भरने के लिए 76 लाख रुपये जमा करवा दिए गए हैं। 13 नवंबर को कोर्ट ने एसडीएम रामपुर से जवाब मांगा था कि यह पैसा कहां खर्च हुआ है और किसे दिया गया है। हाईकोर्ट ने सरकार के अस्पष्ट हलफनामे पर असंतोष जताया है और कोर्ट की ओर से एमिकस क्यूरी को इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च 2025 को होगी।

प्रदूषण के कारण लोग फेफड़े और लीवर की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं

नरोला गांव के हरीश ने बताया कि परियोजना और प्रदूषण के कारण लोगों को बीपी, फेफड़े, लीवर और शुगर की बीमारियां हो रही हैं। साथ ही फसलें भी नष्ट हो गई हैं। नीरथ पंचायत के लोगों ने सरकार, कंपनी और ठेकेदारों पर आरोप लगाया है कि रात के अंधेरे में जब सब सो रहे होते हैं, तब ब्लास्टिंग की जाती है। सुबह होते ही सब कुछ सतलुज में बह जाता है। मकानों में आई दरारों को ठीक करने के लिए किसी को 15 हजार तो किसी को 20 हजार रुपए दिए गए। परियोजना के कारण ग्राम पंचायत नीरथ, दत्तनगर, थेली चकती, देल्थ, थानाधार, किंगल को नुकसान हुआ है।

#highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-25

आउटसोर्स भर्ती में नियमों का हो रहा उल्लंघन, हाई कोर्ट ने पूछा, क्या फिनाइल बेचने वाली कंपनी कर सकती है नर्सों की भर्ती

Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आउटसोर्स भर्ती को लेकर नियमों के उल्लंघन पर सरकार की अस्थायी व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि क्या फिनाइल बेचने वाली कंपनी नर्सों की भर्ती कर सकती है। सरकार ने इसके लिए कोई मापदंड और नियम नहीं बनाए हैं।

जेके इंटरप्राइजेज की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है कि किन मापदंड के तहत कंपनी को काम दिया जाता है और क्या इसमें पारदर्शिता है। इस पर सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इस मामले की सुनवाई 31 दिसंबर को होगी। कंपनी ने आरोप लगाया है कि निगम ने 5 प्रतिशत कमीशन तय किया है, जिसमें से 2.5-2.5 प्रतिशत निगम और कंपनियों को जाता है। इससे कंपनियों ने वित्तीय नीलामी का अधिकार खो दिया है। निगम कंपनियों को सूचीबद्ध करता है, जिसके बाद विभाग निगम को संस्तुति भेजता है। अगर काम के लिए 10 से कम लोगों की जरूरत होती है, तो कंपनियों को रोटेशन के तहत काम दिया जाता है।

अगर इससे ज्यादा है, तो कोई नियम नहीं है। उसके लिए तकनीकी नीलामी की जाती है। अगर विभाग की ओर से किसी कंपनी के नाम की संस्तुति की जाती है, तो उस कंपनी को काम दे दिया जाता है। निगम ने 36 कंपनियों का चयन किया है, जिनके जरिए विभागों का काम आउटसोर्स किया जाता है। निगम इनसे 50-50 हजार रुपये लेता है।

हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्सिंग प्रक्रिया वित्तीय नियम 2009 के तहत शुरू की गई है, जिसके तहत सलाहकार बोर्ड, पंजीकरण, लाइसेंस और अधिसूचना होनी चाहिए, जबकि हिमाचल प्रदेश निगम इन सभी नियमों को दरकिनार कर आउटसोर्सिंग भर्तियां कर रहा है।

आउटसोर्सिंग भर्तियों पर लगी रोक हटाने के लिए सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की

आउटसोर्सिंग भर्तियों पर लगी रोक हटाने के लिए सरकार की ओर से हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आउटसोर्सिंग भर्तियों की प्रक्रिया के लिए सरकार कमेटी बनाने पर विचार कर रही है। इस कमेटी की निगरानी राज्य सरकार करेगी, जिससे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।

सरकार की ओर से दाखिल अर्जी पर अब 31 दिसंबर को सुनवाई होगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने 7 नवंबर को इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन की ओर से विभागों में की जा रही सभी भर्तियों पर रोक लगा दी थी।

खंडपीठ ने कंपनियों और अभ्यर्थियों का सारा डाटा वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य में करीब 110 कंपनियां फर्जी पाई गई हैं। भर्ती प्रक्रिया के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए हैं। केंद्र की नीति के तहत केवल चतुर्थ श्रेणी के पदों को ही आउटसोर्स किया जाता है, जबकि हिमाचल प्रदेश में तृतीय श्रेणी के पदों को भी आउटसोर्स किया जा रहा है।

#highCourtNews #himachalNews #OutsourceRecruitmentNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-25

आउटसोर्स भर्तियों से हटाई जाए रोक, हाई कोर्ट पहुंची प्रदेश सरकार; जानें कब होगी सुनवाई

Himachal News: आउटसोर्स भर्तियों पर लगाई गई रोक को हटाने के लिए सरकार की ओर से हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि आउटसोर्स भर्तियों की प्रक्रिया के लिए सरकार कमेटी बनाने पर विचार कर रही है। इस कमेटी की निगरानी राज्य सरकार करेगी, जिससे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। सरकार की ओर से दाखिल अर्जी पर अब 31 दिसंबर को सुनवाई होगी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने 7 नवंबर को इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन की ओर से विभागों में की जा रही सभी भर्तियों पर रोक लगा दी थी। खंडपीठ ने कंपनियों और अभ्यर्थियों का सारा डाटा वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में करीब 110 कंपनियां फर्जी पाई गई हैं। भर्ती की प्रक्रिया के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए हैं। केंद्र की नीति के तहत केवल चतुर्थ श्रेणी के पदों को ही आउटसोर्स किया जाता है, जबकि हिमाचल प्रदेश में तृतीय श्रेणी के पदों को भी आउटसोर्स किया जा रहा है।

#highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-24

राम देव की पतंजलि के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा डाबर, बताया आदतन अपराधी; जानें क्या है विज्ञापन से जुड़ा मामला

Dabur vs Patanjali Ayurveda: अपने कई उत्पादों के लिए मशहूर कंपनी डाबर ने बाबा रामदेव की पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और उसके विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें पतंजलि आयुर्वेद कथित तौर पर उसके च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चला रहा है। मंगलवार को दायर अपनी याचिका में डाबर ने आरोप लगाया है कि पतंजलि आयुर्वेद उसके च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चला रहा है। याचिका में डाबर ने पतंजलि को अपमानजनक विज्ञापन चलाने से तुरंत रोकने का आदेश मांगा है।

डाबर की अर्जी पर जस्टिस मिनी पुष्करणा ने संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर अंतरिम आदेशों पर विचार करने के लिए मामले को जनवरी के आखिरी हफ्ते में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जब डाबर ने सुनवाई की मांग करते हुए याचिका दायर की थी, तो जस्टिस पुष्करणा ने शुरू में इसे मध्यस्थता के लिए भेजने की इच्छा जताई थी, लेकिन जब डाबर ने मामले में तुरंत राहत देने की बार-बार गुहार लगाई, तो उन्होंने आखिरकार मामले की सुनवाई करने का फैसला किया।

डाबर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने दलील दी कि पतंजलि आयुर्वेद आदतन अपराधी है। उन्होंने इस साल की शुरुआत में पतंजलि के खिलाफ दायर अवमानना याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया, जिसमें पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने अखबारों में लिखित माफीनामा प्रकाशित किया था।

डाबर ने अपनी दलील में कहा कि वह पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक स्वामी रामदेव के एक विज्ञापन से व्यथित है, जिसमें उन्होंने कहा है, “जिन लोगों को आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं है, वे चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा में ‘असली’ च्यवनप्राश कैसे बना सकते हैं?” (उन्होंने कहा कि केवल पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश ही ‘असली’/प्रामाणिक है; और बाजार में अन्य च्यवनप्राश के निर्माताओं को इस परंपरा का कोई ज्ञान नहीं है, और परिणामस्वरूप, वे सभी नकली/’साधारण’ हैं)।

सिब्बल के अनुसार, अन्य च्यवनप्राश को ‘साधारण’ कहना यह दर्शाता है कि वे घटिया हैं। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव की पतंजलि का विज्ञापन च्यवनप्राश की पूरी श्रेणी को नीचा दिखाता है, जो एक सदियों पुरानी आयुर्वेदिक दवा है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि सभी च्यवनप्राश को प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित विशिष्ट फॉर्मूलेशन और सामग्री का पालन करना चाहिए, जिससे “साधारण” च्यवनप्राश की धारणा भ्रामक और डाबर जैसे प्रतिस्पर्धियों के लिए हानिकारक हो जाती है क्योंकि डाबर का इस सेगमेंट में 61.6% बाजार हिस्सा है।

सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि पतंजलि का विज्ञापन न केवल उपभोक्ताओं को गुमराह कर रहा है बल्कि अन्य ब्रांडों को भी बदनाम कर रहा है क्योंकि उनका विज्ञापन यह संदेश दे रहा था कि केवल उनके पास ही च्यवनप्राश तैयार करने का सही ज्ञान और तरीका है और बाकी सभी अनुभवहीन और दूसरे दर्जे के उत्पादक हैं।

#DabarNews #delhiNews #highCourtNews #PatanjaliNews #ramdevNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-23

न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया होंगे हिमाचल के नए मुख्य न्यायधीश, पिता रह चुके है चीफ जस्टिस

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को नए मुख्य न्यायाधीश मिल गए हैं. न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया हिमाचल के नए मुख्य न्यायाधीश होंगे. मौजूदा वक्त में वे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज हैं.

इसी हफ्ते संधावालिया पदभार ग्रहण कर सकते हैं. इस संबंध में भारत सरकार के सह सचिव जगन्नाथ श्रीनिवासन की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसी हफ्ते में शिमला से राजभवन में शपथ ग्रहण कर सकते हैं.

दरअसल, 11 जुलाई, 2024 न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश पद के लिए अनुशंसित किया गया था. अब जस्टिस संधावालिया को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया गया है. इससे पहले 19 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे राजीव शकधर रिटायर हो चुके हैं. उनकी रिटायरमेंट के बाद से न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान हिमाचल उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

पिता भी रह चुके हैं चीफ जस्टिस

59 साल के जस्टिस गुरमीत सिंह ने साल 1986 में चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से स्नातक की परीक्षा पास की थी. साल 1989 में उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की. इसी साल वह पंजाब एवं हरियाणा के बार काउंसिल में बतौर एडवोकेट जुड़ गए. जस्टिस गुरमीत लीगल पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं. उनके पिता साल 1978 और साल 1983 के बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और साल 1983 से साल 1987 के बीच पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं.

हिमाचल में यह जज दे रहे सेवाएं

मौजूदा वक्त में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान समेत कुल 11 जज हैं. जस्टिस चौहान के साथ यहां जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर, जस्टिस अजय मोहन गोयल, जस्टिस संदीप शर्मा, जस्टिस ज्योत्सना रेवाल दुआ, जस्टिस सत्येन वैद्य, जस्टिस सुशील कुकरेजा, जस्टिस वीरेंद्र सिंह, जस्टिस रंजन शर्मा, जस्टिस बिपिन चंद्र नेगी और जस्टिस राकेश कैंथला सेवाएं दे रहे हैं. अब जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया के हिमाचल हाइकोर्ट आने से यहां उनके साथ जजों की कुल संख्या 12 हो जाएगी.

#highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-23

हिमाचल हाई कोर्ट ने रिजेक्ट की नकली दवा बनाने वाली कंपनी के मालिक की जमानत याचिका, जानें पूरा मामला

Bail Plea Of Owner Of Fake Drug Manufacturing Company In Baddi Rejected: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने औद्योगिक क्षेत्र (Fake Drug Manufacturing Company In Baddi) बद्दी में नकली दवा बनाने वाली कंपनी के मालिक की (Bail Plea Rejected) जमानत याचिका रद्द कर दी।

न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारी मात्रा में घटिया-नकली दवाओं की बरामदगी अपराध की गंभीरता को बयां करती है और अगर प्रार्थी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा कि ऐसा अपराध करने के बाद भी आवेदक समाज में खुलेआम घूम रहा है। कोर्ट ने जमानत याचिका रद्द करने का एक और कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि नकली दवाओं का उन लोगों पर प्रभाव, जो आशा और विश्वास में उनका सेवन करते थे, को अभी की परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

6 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था

कोर्ट ने कहा कि सरकारी विश्लेषक, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला चंडीगढ़ की रिपोर्ट भी अपराध की गंभीरता के बारे में बहुत कुछ कहती है। कोर्ट ने कहा कि आवेदक को जमानत पर रिहा करने से अन्य दवा निर्माताओं को भी आसान पैसा कमाने के लिए घटिया/नकली दवाएं बनाने/विपणन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। मामले के अनुसार प्रार्थी अवेंद्र शुक्ला ने उसे ड्रग्स इंस्पेक्टर बद्दी द्वारा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 की विभिन्न धाराओं के तहत पंजीकृत मामले में जमानत पर रिहा करने के लिए जमानत याचिका दायर की थी। उसे 6 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था।

प्रार्थी फर्जी फर्म के नाम से नकली और घटिया दवाओं के निर्माण में लिप्त

जांच एजेंसी के अनुसार 27 जनवरी 2023 को लाइसेंस की समाप्ति के बावजूद बद्दी स्थित मेसर्स ग्लेनमार्क हेल्थकेयर (M/s Glenmars Healthcare, Baddi) एलोपैथिक दवाओं का कारोबार कर रही थी और प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, बरामद दवाएं घटिया/नकली गुणवत्ता की पाई गईं। शिकायतकर्ता के अनुसार उक्त परिसर से भारी मात्रा में दवाइयां, यानी एमोक्सस-500 कैप्सूल (69 बक्से), डॉक्सटिल-200 टैबलेट (79 बक्से), एमईएफ 200 टैबलेट (100 बक्से), जैथ्रॉन-500 टैबलेट (26 बक्से), रॉक्सिम-500 कैप्सूल (66 बक्से) और एम्पीसिलीन-500 कैप्सूल (19 बक्से) बरामद किए गए थे। इसके इन दवाओं को जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया और विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार उपरोक्त पांच दवाओं में वास्तविक सामग्री का प्रतिशत 00.00% था, जबकि एक उल्लिखित दवा में यह 83.71% पाया गया। जांच एजेंसी ने कथित तौर पर पाया कि मेसर्स ग्लेनमार्क हेल्थकेयर से बरामद दवाएं नकली प्रकृति की हैं और प्रार्थी फर्जी फर्म के नाम से नकली और घटिया दवाओं के निर्माण में लिप्त हैं।

#BaddiNews #highCourtNews #shimlaNews #SubstandardMedicinesNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-23

जम्मू कश्मीर में चेहरे से नकाब हटाने से मुकरी महिला वकील, जमकर हुई बहस; हाईकोर्ट सुनवाई से मुकरा

Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने पिछले दिनों एक ऐसी मुस्लिम महिला वकील की बात सुनने से इनकार कर दिया, जिसने सुनवाई के दौरान अपना चेहरा ढका हुआ था। जब जज ने महिला से नकाब हटाकर चेहरा दिखाने को कहा था, कथित वकील ने चेहरा दिखाने से इनकार कर दिया। इसके बाद जज ने उस मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी कि क्या किसी महिला वकील को चेहरा ढककर किसी मामले की पैरवी करने की अनुमति है। कोर्ट ने उस महिला वकील की बात सुनने से इनकार कर दिया और आगे की तारीख दे दी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट की जांच करने के बाद हाई कोर्ट की जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी ने 13 दिसंबर को अपने आदेश में कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा निर्धारित नियमों में से किसी में भी ऐसे अधिकार का उल्लेख नहीं है, जिसके तहत कोई भी महिला चेहरे पर नकाब लगाकर या बुर्का पहनकर अदालत में मामले की पैरवी कर सकें। कोर्ट ने कहा कि BCI की नियमावली के अध्याय IV (भाग VI) की धारा 49(1) (जीजी) में महिला अधिवक्ताओं के लिए अनुमत ड्रेस कोड का विवरण दिया गया है। कोर्ट ने कहा, “इन नियमों में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए इस तरह की कोई पोशाक स्वीकार्य है।”

दरअसल, 27 नवंबर को हाई कोर्ट में कथित तौर पर एक महिला वकील पेश हुई थीं, जिन्होंने अपना नाम सैयद एनैन कादरी बताया था और घरेलू हिंसा से जुड़े एक मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होते हुए इस मामले को रद्द करने की मांग की। इस दौरान वह कोर्ट रूम में वकील की ड्रेस में थीं लेकिन अपने चेहरे को ढक रखा था। उस समय जस्टिस राहुल भारती मामले की सुनवाई कर रहे थे। जस्टिस भारती ने तब उस महिला वकील से चेहरे पर से नकाब हटाने को कहा लेकिन कादरी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। महिला वकील ने जोर देकर कहा कि चेहरा ढकना उसका मौलिक अधिकार है और कोर्ट उससे जबरन ऐसा करने को नहीं कह सकता।

इसके बाद जस्टिस भारती ने उस अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि मामले में पैरवी के लिए पेश हुई महिला को वकील के तौर पर ना तो विचार कर सकते हैं और न ही नियमों के मुताबिक स्वीकार्य कर सकते हैं क्योंकि चेहरा ढके होने की स्थिति में यह तय नहीं हो सका कि वह महिला कौन है या उसकी पहचान क्या है। कोर्ट ने मामले सुनवाई स्थगित करते हुए आगे की तारीख दे दी और रजिस्ट्रार जनरल से BCI के नियमों के तहत यह पुष्टि करने को कहा कि क्या ऐसा कोई नियम है, जिसके तहत महिला वकील चेहरा ढक कर पेश हो सकें और मामले की पैरवी कर सकें।

अब रजिस्ट्रार जनरल ने बीसीआई के नियमों का हवाले देते हुए कहा है कि ऐसा प्रावधान नहीं है और सभी वकीलों को एक खास पोशाक में कोर्ट रूम में पेश होने का नियम है। हालांकि, बाद में एक और वकील कादरी की जगह याचिकाकर्ता की पैरवी करने पेश हुआ लेकिन कोर्ट ने आगे की तारीख दे दी। अब नई जज जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी ने अपने आदेश में बीसीआई के नियमों का हवाला देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी महिला वकील चेहरा ढक कर या नकाब पहनकर या बुर्के में कोर्ट रूम में पेश नहीं हो सकती।

#highCourtNews #jammuKashmirNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-21

निर्वाचन के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची नव्या हरिदास, प्रियंका गांधी की सांसदी पर लटकी तलवार; जानें पूरा मामला

Priyanka Gandhi: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता नव्या हरिदास ने केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के वायनाड लोकसभा सीट से निर्वाचन को चुनौती दी है.

हरिदास ने शुक्रवार (20 दिसंबर, 2024) को दायर की गयी याचिका में दावा किया है कि प्रियंका ने नामांकन पत्र में अपनी और अपने परिवार की संपत्ति का सही खुलासा नहीं किया और गलत जानकारी दी. भाजपा नेता ने कहा कि यह आदर्श आचार संहिता के खिलाफ और भ्रष्ट आचरण के समान है. अब सवाल ये है कि भाजपा नेता के इस कदम के बाद क्या प्रियंका गांधी की सांसदी छिन जाएगी?

केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में नव्या हरिदास को कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी वाड्रा ने पांच लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया था. नव्या हरिदास ने याचिका दायर होने की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई जनवरी 2025 में होने की संभावना है, क्योंकि उच्च न्यायालय में 23 दिसंबर से पांच जनवरी तक अवकाश रहेगा.

चुनावी हलफनामे में कितनी बताई संपत्ति?

प्रियंका गांधी ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में बताया था कि उनके पास 4.24 करोड़ रुपये की चल और 13.89 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है. हलफनामे में उन्होंने अपने पति रॉबर्ट वाड्रा की संपत्ति की जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास 37.91 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है. वहीं प्रियंका गांधी के ऊपर 15 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज भी है तो वहीं पति रॉबर्ट वाड्रा पर 10,03,30,374 रुपये की देनदारी है.

59.83 किलो के चांदी से बने सामान

सोने व चांदी की बात करें को चुनावी हलफनामे के मुताबिक प्रियंका गांधी के पास 59.83 किलो के चांदी से बने सामान हैं. इनकी टोटल कीमत 29.55 लाख रुपये है. वहीं उनके पास 4.41 किलो के जेवर हैं, जिसमें 2.5 किलो सोना है. इनकी कीमत 1 करोड़ 15 लाख 79 हजार रुपये है. प्रियंका गांधी के पास होंडा सीआरवी कार भी है. वहीं लैंड की बात करें तो हलफनामे में उन्होंने बताया है कि उनके पास 2 करोड़ 10 लाख रुपये से अधिक कीमत की फार्मिंग लैंड है और उनका घर 48,997 वर्ग फीट क्षेत्र में बना है, जो शिमला में स्थित है.

#delhiNews #highCourtNews #keralaNews #NavyaHaridasNews #priyankaGandhiNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-17

ना डीपीआर, ना टेंडर और ना ही कोई रिकॉर्ड, गोसदन के खर्च में भारी गड़बड़, जानें क्या बोला हाई कोर्ट

Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोसदनों पर करोड़ों रुपये खर्चे करने के बाद भी पशुओं की दयनीय स्थिति पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत में इस मामले को लेकर तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर हुई हैं।

अदालत ने सोमवार को पशुओं की गंभीर हालात पर संज्ञान लेते हुए कहा कि गोसदनों के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट देने के बाद भी पशुओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। अदालत में सरकार और विजिलेंस की ओर से गोसदन के लिए जारी बजट पर अपनी-अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश की। पशुपालन के अधिकारी भी कोर्ट में रिकॉर्ड के साथ पेश हुए। इस मामले की अगली सुनवाई 18 दिसबंर को होगी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सरकार और विजिलेंस ब्यूरो के जवाब पर असहमति जताते हुए कहा कि आखिर यह पैसा कहां जा रहा है। अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि गोशाला बनाने के लिए न कोई डीपीआर, न कोई टेंडर की प्रक्रिया और न ही कोई रिकॉर्ड सरकार के पास है। विजिलेंस ने अदालत में अपनी रिपोर्ट में भी इसका हवाला दिया कि गोसदन के लिए खर्च की गई धनराशि की बड़ी गड़बड़ी पाई गई है। अदालत के सवालों का जवाब देने के लिए सरकार ने और समय मांगा। अदालत ने पिछले आदेश में करोड़ों रुपये का घपला होने की आशंका के बाद इसकी जांच पुलिस स्टेशन राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो धर्मशाला का सौंपी थी।

बता दें कि हाईकोर्ट में लावारिस, बेसहारा पशुओं के मामले में तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इसमें लुथान गोशाला एक है और 8 अन्य हैं। इसके लिए सरकार ने करीब 4 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं। उसके बाद भी वहां पर पशुओं की हालत चिंताजनक बनी हुई है। हजार के करीब पशु यहां पर मर गए हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इतना बजट जारी होने के बाद भी गोशाला की हालत में सुधार नहीं किया जा रहा है।

#highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-16

महिला ने पति के खिलाफ दर्ज करवाई अजीबोगरीब शिकायत, हाई कोर्ट ने बताया तुच्छ मामला और कानून का दुरुपयोग

Bengaluru News: भारत में इस समय अतुल सुभाष सुसाइड केस सुर्खियों में है। महिला कानूनों को जिस बेदर्दी से गलत इस्तेमाल हो रहा है, ये केस उसकी बानगी मात्र है। देश में हजारों- लाखों शादीशुदा महिलाओं ने अपने पति और ससुराल वालों पर दहेज और घरेलू हिंसा के झूठे केस दर्ज कराए हुए हैं। ऐसा ही एक मामला कोर्ट के सामने आया, जिस पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए शिकायतकर्ता महिला की क्लास लगा दी। इसे तुच्छ मामला बताते हुए केस खारिज कर दिया है।

महिला ने दर्ज कराई थी अजीबोगरीब शिकायत

बेंगलुरु की रहने वाली एक शादीशुदा महिला ने पति के खिलाफ बेहद अजीबोगरीब शिकायत दर्ज कराई थी। महिला द्वारा अपनी शिकायत में कहा गया कि पति बिल्ली को उनसे ज्यादा प्यार करते हैं। महिला के मुताबिक उनके पति हमेशा बिल्ली के बारे में ही चिंता करते रहते हैं। वे उसकी बहुत देखभाल करते हैं, वही पत्नी की बातों को इग्नोर कर देते हैं। वहीं ये बिल्ली जब-तब उनपर हमला कर देती है। इस बिल्ली की वजह से घर में टेंशन का माहौल बना रहता है। इस बात को लेकर उन्होंने घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था।

हाईकोर्ट ने मामले पर जताया आश्चर्य, पति को दी अंतरिम राहत

महिला ने अपन पति के खिलाफ 498A का मामला दर्ज कराया था। पति ने इसके खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट की शऱण ली थी। वहीं कोर्ट ने पति और उसकी फैमिली के खिलाफ 498A के तहत दर्ज क्रूरता के मामले की जांच पर फिलहाल से रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम नागप्रसन्ना ने “तुच्छ” और कानून का दुरुपयोग बताया है। न्यायमूर्ति ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी शिकायतों की वजह से ही केसों का अंबार लगता जा रहा है। यदि इस केस की जांच आगे बढ़ती है तो पुलिस, कोर्ट, पीडि़त के परिजन सभी को अनावश्यक परेशान होना पड़ेगा। कोर्ट ने इसम मामले की जांच पर इंटरिम रिलीफ देते हुए जांच पर रोक लगा दी है।

#BengaluruNews #highCourtNews #karnatakaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-15

मंडी, बद्दी और कुल्लू में शिकायत के बावजूद पुलिस ने दर्ज नहीं की FIR, हाई कोर्ट ने दिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश

Himachal News: हिमाचल हाईकोर्ट ने सूचना या शिकायत मिलने के बाद एफआईआर दर्ज करने में देरी किए जाने पर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने तीन अलग-अलग मामलों में सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए।

खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट की एक जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि सूचना और शिकायत मिलने के बाद 48 घंटों के भीतर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है, बावजूद इसके संवेदनशील मामलों में शिकायत मिलने के बाद भी पुलिस केस दर्ज नहीं कर रही।

खंडपीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ के निर्देशों के बाद भी पुलिस थानों में आदेशों की धज्जियां उड़ रही हैं और लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में साफ कहा है कि यदि सूचना मिलने से संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है तो एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा और ऐसी परिस्थिति में कोई प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है। पुलिस को अगर जानकारी पुख्ता नहीं लगती तो ऐसे मामलों में शिकायतकर्ता को एक सप्ताह के भीतर मामले को बंद करने के बारे में जानकारी देनी होगी।

इन मामलों में पुलिस ने देरी से की एफआईआर

केस एक
मंडी के बल्ह में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। मरने वाले के पिता ने पुलिस थाने में शिकायत दी कि कोई फिरौती की मांग कर रहा है। पुलिस ने युवक की मौत के 8 दिन बाद एफआईआर दर्ज की। हाईकोर्ट ने मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।

केस दो
बद्दी में उद्योगों से निकलने वाली काली राख नदी में फेंकने से पानी के स्रोत दूषित हो रहे हैं। इसकी शिकायत पुलिस से की गई तो तुरंत कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। एफआईआर दर्ज न करने पर अदालत ने इस मामले में सरकार से हलफनामा मांगा है।

केस तीन
कुल्लू में घूमने आए हरियाणा के वैभव यादव की मौत मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। वैभव के पिता के पत्र के बाद डीजीपी ने एसपी कुल्लू को जांच करने को कहा था। इसके बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई।

#BaddiNews #highCourtNews #himachalNews #kulluNews #mandiNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-15

जाली दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही न करने पर 50 हजार की कॉस्ट सही

Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल विधानसभा पर जाली दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त कर्मचारी के खिलाफ दी शिकायत पर कोई कार्रवाई न करने पर 50,000 रुपए की कॉस्ट को सही ठहराया है।

हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले को सही ठहराते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली विधानसभा की अपील को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि आम तौर पर यह भारी कॉस्ट लगाने के लिए एक उपयुक्त मामला है। खंडपीठ ने विधानसभा को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि अपीलकर्ता फिर से इस तरह की गुणवत्ताहीन अपील करने का दुस्साहस न करे।

मामले के अनुसार प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल विधानसभा पर जाली दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त कर्मचारी के खिलाफ दी शिकायत पर कोई कार्रवाई न करने पर 50,000 रुपए की कॉस्ट लगाई थी। न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने याचिकाकर्ता कमल जीत की याचिका को स्वीकारते हुए विधानसभा सचिव को अपने दोषी अधिकारियों के खिलाफ मामले की जांच करने के आदेश भी दिए थे। कोर्ट ने जांच को उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने और इसकी रिपोर्ट आगे की आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के समक्ष रखने के आदेश भी दिए थे।

एकल पीठ ने याचिकाकर्ता को जूनियर ट्रांसलेटर के पद पर नियुक्ति देने के आदेश दिए थे। जिस कर्मी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त किया गया था वह पहले ही अपने पद से त्यागपत्र दे चुका था। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ द्वारा की गई उन टिप्पणियों को सही ठहराया जिनमें एकल पीठ ने कहा था कि ऐसे मामलों में नियोक्ता द्वारा समय पर कार्रवाई करने से कतार में लगे अन्य अभ्यर्थियों को परेशानीयों से बचाया जा सकता है।

एकल पीठ ने कहा था यह एक गंभीर मामला

एकल पीठ ने कहा था कि फर्जी दस्तावेज अथवा नकली प्रमाणपत्र के आधार पर रोजगार प्राप्त करना एक गंभीर मामला है। लेकिन विधानसभा ने इस पर आंखें मूंद लीं जिस कारण नियोक्ता का आचरण अशोभनीय है। एकल पीठ ने सूची में अगला स्थान होने के कारण याचिकाकर्ता को पद का हकदार माना था। एकल पीठ ने आश्चर्य जताया था कि याचिकाकर्ता को पद देने के बजाय विधानसभा ने विवादित पद को पुनः विज्ञापित किया, चयन प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू किया और यहां तक कि यह दलील देने की हद तक चला गया कि नई चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी और परिणामस्वरूप रिट याचिका निष्फल हो गई थी। एकल पीठ ने याचिका को स्वीकारते हुए विधानसभा को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता को 11 सितम्बर 2019 को विज्ञापित जूनियर ट्रांसलेटर (ओबीसी) के पद पर दो सप्ताह के भीतर नियुक्ति प्रदान करे।

#highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-12

हिमाचल में शौचालयों के रख रखाव की जिम्मेदारी बीडीओ की, हाई कोर्ट ने जारी किए यह निर्देश

Himachal News: हिमाचल हाईकोर्ट ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में शौचालयों की रखरखाव की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) की होगी। अदालत ने शौचालयों की खस्ताहालत को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किए।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि बीडोओ अपने क्षेत्र में इस बात का ध्यान रखें कि वहां पर शौचालयों की स्थिति कैसी है। शौचालयों की साफ सफाई, उनका रखरखाव, कितने बंद पडे हैं और कितने नहीं, इस पर रिपोर्ट अदालत में दायर करने के आदेश भी खंडपीठ ने दिए हैं।

न्यायमित्र देवन खन्ना ने अदालत को बताया कि 15 वें वित आयोग ने प्रदेश को 800 करोड़ रुपए सिर्फ सेनिटाइजेशन के लिए दिए हैं। उनमें से 526 करोड़ अभी तक खर्च नहीं किए गए हैं। उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि मानक संचालन प्रक्रिया के तहत फंड के हिस्से को शौचालयों और ठोस अपशिष्ट पर खर्च किया जाए।

सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि ग्रामीण विकास विभाग ने पैसा ग्राम पंचायतों को जारी कर दिया गया है। सरकार ने प्रदेश में तीन हजार से ऊपर सभी शौचालयों को जियो टैग कर दिया गया है। अदालत ने अगली सुनवाई को अनुपालना रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

#highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-12

रोहड़ू में सरेआम उड़ी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां, देवलुओं ने काटा बकरा; सुरेंद्र पपटा ने दर्ज करवाई शिकायत

Shimla News: हिमाचल में बकरों की बलि के सामने लगातार सामने आते जा रहे है। जबकि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थान पर सार्वजनिक रूप से पशु बलि देने पर प्रतिबंध लगा रखा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।

पुलिस और प्रशासन हुआ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना सुनिश्चित नहीं कर रहे है। सरकार पूरी तरह चुप है। कोई भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध नजर नहीं आ रहा है।

कुछ दिन पहले मण्डी के चैल चौक में सरेआम सैकडों लोगों के सामने बीच बाजार बकरे की बलि के बाद अब रोहड़ू से भी ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां एक बकरे को सरेआम पूल पर काटा गया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

वीडियो में साफ साफ दिख रहा है कि देवता के साथ आए कुछ लोग सरेआम रोहड़ू पुल पर बकरे को लेकर आते है और बड़ी बेरहमी से उसको काट देते है। पूल पर खून ही खून हो जाता है और लोग उसको रगड़ कर एक साइड कर देते है। इस खौफनाक वीडियो से इलाके में दहशत का माहौल है।

इस मामले सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र पपटा ने पुलिस को शिकायत भेजी है। उन्होंने कहा कि इस तरह बकरे की बलि देना नैतिक और सामाजिक रूप से गलत है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अवहेलना है। सुरेंद्र पपटा ने कहा कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाए तथा भविष्य में निगरानी बढ़ाई जाए ताकि दोबारा ऐसा अपराध ना हो।

आपको बता दें कुछ दिन पहले ऐसा ही मामला मंडी के चैल चौक से भी निकलकर सामने आए था। जहां एक बकरे को सैकड़ों लोगों के सामने काटा गया। उस मामले में पुलिस ने तत्काल FIR दर्ज की थी और मामले की जांच जारी है। अब देखना होगा शिमला पुलिस इस मामले में क्या कार्यवाही करती है।

#highCourtNews #himachalNews #indiaNews #shimlaNews #supremeCourtNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-10

दैनिक अखबार दिव्य हिमाचल को कर्मचारी को निकलना पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट को दिए 6 महीने में रिकवरी केस निपटाने के आदेश

Himachal News: हिमाचल प्रदेश के हिंदी दैनिक अखबार दिव्‍य हिमाचल को मजीठिया वेजबोर्ड की रिकवरी के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। माननीय उच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति संदीप शर्मा की बैंच ने कंपनी की ओर से लेबर ऑफिसर के रेफरेंस आर्डर को खारिज करने की याचिका को निरस्‍त करते हुए एक विस्‍तृत फैसला सुनाया है।

दिनांक 03 दिसंबर, 2024 को सुनाया गया फैसला आज कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुआ। इसमें प्रतिवादी अखबार कर्मी को राहत देते हुए माननीय उच्‍च न्‍यायालय ने लेबर कोर्ट धर्मशाला में लंबित प्रतिवादी कर्मचारी के मीजिठिया वेजबोर्ड के तहत रिकवरी के केस की जल्‍द सुनवाई करते हुए लेबर कोर्ट को माननीय सुप्रीम कोर्ट के छह माह के टाइम बाउंड आर्डर का पालन करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

ज्ञात रहे कि मैसर्ज दिव्‍य हिमाचल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड बनाम सुनील कुमार एवं अन्‍य मामले में प्रबंधन ने सिविल रिट पेटिशन दायर करके लेबर ऑफिसर एवं वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट, 1955 (डब्‍ल्‍यूजे एक्‍ट) की धारा 17 के तहत नामित अथॉरिटी की नोटिफिकेशन दिनांक 6 जनवरी, 2020 के तहत लेबर कोर्ट धर्मशाला को अधिनिर्णय के लिए रेफर किए गए रिकवरी के मामले को चुनौती दी थी। कंपनी ने रेफरेंस को यह कहते हुए खारिज करने की अपील की थी कि प्रतिवादी अखबारकर्मी ने डब्‍ल्‍यूजे एक्‍ट की धारा 17(1) के तहत पहले भी लेबर आफिसर धर्मशाला के पास एक एप्‍लिकेशल दाखिल की थी, जिसे लेबर ऑफिसर ने अपने आदेश दिनांक 15 अक्‍तूबर, 2018 के तहत रिजेक्‍ट कर दिया था। इस आदेश को प्रतिवादी अखबार कर्मचारी ने हाईकोर्ट में चुनौती देने के बजाय पहले के लेबर ऑफिसर की ट्रांस्‍फर के बाद उसकी जगह आए दूसरे लेबर ऑफिसर के पास दोबारा से नई एप्‍लिकेशन डाल कर दिनांक 6 जनवरी, 2020 को रेफरेंस आर्डर प्राप्‍त कर लिया, जिसे खारिज करने की मांग इस याचिका में की गई थी।

दरअसल, अखबारकर्मी एवं दिव्‍य हिमाचल में माली के पद पर कार्यरत सुनील कुमार को कंपनी ने बिना किसी नियुक्‍ति पत्र के 2011 में रखा गया था और उसे मामूली तनख्‍वाह दी जाती थी। इस बीच मजीठिया वेजबोर्ड देने से बचने के लिए अखबार ने अपने नियमित कर्मचारियों से जबरन इस्‍तीफा लेना शुरू किया और जो कर्मचारी रिकार्ड में थे ही नहीं उन्‍हें मौखिक तौर पर नौकरी से हटाने की कवायद शुरू कर दी। वहीं सुनील कुमार ने नौकरी से हटाए जाने से पहले ही दिनांक 23 अप्रैल, 2018 को मजीठिया वेजबोर्ड के तहत रिकवरी की एप्‍लिकेशन लेबर ऑफिसर कम अथॉरिटी धर्मशाला के पास दायर कर दी थी। इसके जबाव में प्रबंधन ने इस अखबारकर्मी के बारे में लिखा कि वादी उनके संस्‍थान का कर्मचारी ही नहीं है, उसे तो कंपनी के सीएमडी ने अपने घर के नौकर के तौर पर रखा है। वादी ने रिज्‍वाइंडर फाइल करके इस विवाद को लेबर कोर्ट को रेफर करने की अपील की, मगर लेबर ऑफिसर ने प्रबंधन से सांठगांठ करके खुद ही इस मामले में अधिनिर्णय करते हुए दिनांक 15 मई, 2019 को अवैध फैसला लिख डाला।

इस बीच अखबारकर्मी सुनील को प्रबंधन ने नौकरी से भी हटा दिया। नौकरी चले जाने और मेहनत मजदूरी करने के काबिल ना होने के चलते वादी इस फैसले को सीधे हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दे सका, तो उसके एआर (न्‍यूजपेपर इम्‍पलाइज यूनियन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष रविंद्र अग्रवाल) की सलाह पर इसकी शिकायत हिमाचल प्रदेश सरकार के सेक्रेटरी(लेबर) और लेबर कमीशनर से की और लेबर ऑफिसर के फैसले को गैरकानूनी व अवैध बताते हुए डब्‍ल्‍यूजे एक्‍ट की धारा 17(2) के तहत रेफरेंस की मांग की। इस पर दोनों ही आला अधिकारियों ने पत्र लिख कर तत्‍कालीन लेबर ऑफिसर को अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए कानून के तहत कार्यवाही करने के आदेश दिए, मगर उसने नहीं माना और अधिकारियों को पत्र लिख कर जवाब दिया कि उसके पास अपने फैसले को रिव्‍यू करने की पावर नहीं है। इस अधिकारी की हठधर्मिता के चलते उसका तबादला किया गया और उसकी जगह आए कार्यभार संभालने पहुंचे अन्‍य लेबर ऑफिसर से जब अखबारकर्मी ने संपर्क किया और आला अधिकारियों के आदेशों के बारे में अवगत करवाया। इस पर लेबर ऑफिसर ने सलाह दी कि नया क्‍लेम डाल दें। इस पर सुनील के एआर ने अधिकारी को लिखित तौर पर निर्देश जारी करने की अपील की जिस पर लेबर ऑफिसर ने दिनांक 20 सितंबर, 2019 को पत्र लिख कर सुनील कुमार को नए सिरे से अपना रिकवरी क्‍लेम डालने की सलाह दी थी।

इस पर सुनील ने दिनांक 23 सितंबर, 2019 को डब्‍ल्‍यूजे एक्‍ट की धारा 17(2) के तहत नया क्‍लेम दाखिल किया और लेबर ऑफिसर के नोटिस के बाद प्रबंधन ने अपना जवाब दायर करते हुए फिर से उसके क्‍लेम को यह कहते हुए खरीज करने की मांग की कि आवेदनकर्ता इस समाचार प्रतिष्‍ठान का कर्मचारी नहीं है और इसे संस्‍थान के सीएमडी ने व्‍यक्‍तिगत तौर पर अपने घर के नौकर के रूप में रखा था और वो ही अपनी जेब से इसे वेतन देते थे। कर्मचारी ने अपने रिज्‍वाइंडर में संस्‍थान की ओर से लोन लेने के लिए दी गए सेलरी स्‍लीप व अन्‍य रिकार्ड लगाते हुए संस्‍थान के आरोपों से इनकार किया और अपने क्‍लेम को दोहराया। इस तरह विवाद होने पर लेबर ऑफिसर ने बतौर अथारिटी इस विवाद को एक्‍ट की धारा 17(2) के तहत 06 जनवरी, 2020 को लेबर कोर्ट के पास अधिनिर्णय के लिए रेफर कर दिया था।

दिव्‍य हिमाचल ने इन आदेशों को माननीय उच्‍च न्‍यायालय शिमला में चुनौती देते हुए कहा कि एक तो प्रतिवादी ने अपना क्‍लेम पहले रिजेक्‍ट किए जाने के पूर्व के लेबर ऑफिसर के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी, जिसके चलते उस पर कानूनी तौर पर दोबारा वही विवाद उठाने पर रोक लग चुकी थी। ऐसे में नए लेबर आफिसर ने इस बात को ध्‍यान में रखे बिना नए आवेदन पर रेफरेंस कर दिया जो विधिसम्‍मत नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।

वादी पक्ष के वकील की दलीलों का प्रतिवादी पक्ष में शामिल कर्मचारी और सरकार के अधिवक्‍ताओं ने कड़ाई से विरोध किया और कहा कि जब लेबर आफिसर को डब्‍ल्‍यूजे एक्‍ट की धारा 17(1) के तहत समाचार संस्‍थान की ओर से उठाए गए प्रश्‍नों पर अधिनिर्णय देने की शक्‍तियां ही नहीं थी तो उसका दिनांक 15 मई, 2019 को दिया गया आदेश अवैध है और पौषणीय ही नहीं है। वहीं उसकी कार्यवाही एक प्रशासनिक कार्यवाही थी, जिसे कभी भी बदला जा सकता है। इसके अलावा वादी ने लेबर विभाग के उच्‍च अधिकारियों के समक्ष भी लेबर आफिसर के अवैध फैसले के बारे में आपत्‍ति दर्ज करवा कर उचित निर्णय की मांग की थी। इसके बावजूद उसने अपना निर्णय नहीं बदला। हालांकि उसकी जगह तैनात अन्‍य लेबर आफिसर ने वहीं शक्‍तियों का इस्‍तेमाल करके हुए बाद में आवेदनकर्ता को लिखित तौर पर नए सिरे से एक्‍ट की धारा 17(1) के तहत क्‍लेम एप्‍लिकेशन दायर करने की इजाजत दे दी थी। इसका वादी संस्‍थान ने जवाब भी दिया और इस आधार पर ही लेबर कोर्ट को रेफरेंस भेजा गया।

माननीय उच्‍च न्‍यायालय ने अपने निर्णय में ना केवल लेबर आफिसर के दिनांक 06 जनवरी, 2020 को भेजे गए रेफरेंस आर्डर को वैध बताया है, बल्‍कि यह भी कहा है कि पूर्व में लेबर आफिसर धर्मशाला के पद पर तैनात व्‍यक्‍ति को 17(1) के तहत दायर आवेदन को खारीज करने के अधिकार ही नहीं था, जबकि समाचार प्रतिष्‍ठान की ओर से इस आवेदन पर उठाए गए सवालों को धारा 17(2) के तहत लेबर कोर्ट को भेजा जाना चाहिए था, जिसे विवाद का अधिनिर्णय करने का अधिकार है। इतना ही नहीं माननीय उच्‍च न्‍यायालय ने लेबर कोर्ट को माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के टाइम बाउंड आदेशों के तहत इस विवाद को 6 माह में निपटाने के निर्देश भी जारी किए हैं।

टर्मीनेशन मामले में भी हुई है जीत मिलने लगी है पेमेंट

सुनील कुमार को टर्मीनेशन के मामले में भी हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से राहत मिल चुकी है। उसे लेबर कोर्ट ने सौ फीसदी पूर्व के वेतन के साथ नौकरी पर समस्‍त लाभ सहित बहाल किया था। दिव्‍य हिमाचल प्रबंधन ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी तो माननीय हाईकोर्ट ने इस फैसले पर इस शर्त पर स्‍टे करने के आदेश जारी किए कि प्रबंधन को आईडी एक्‍ट की धारा 17बी के तहत कर्मचारी को फुल बैक वेजेज देनी होगी। हालांकि कंपनी प्रबंधन ने इन आदेशों का आंशिक पालन किया है और सुनील कुमार को गुजारे के लिए वर्ष 2017 में दिए जा रहे वेतन की पेमेंट होने लगी है। जबकि कानून उसे मजीठिया वेजबोर्ड के तहत लेबर कोर्ट के आर्डर दिनांक 31.07.2024 को बनने वाले वेतनमान के तहत सैलरी जारी की जानी चाहिए थी। फिलहाल मामला हाईकोर्ट में लंबित है।

माननीय हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की जजमेंट और आदेश कोर्ट की वेबसाइट से सीडब्‍ल्‍यूपी नंबर 2863/2020 और सीडब्‍ल्‍यूपी नंबर 12430/2024 डाल कर प्राप्‍त किए जा सकते हैं।

(यह खबर सामाचार पत्र कर्मचारी और उसके एआर से प्राप्‍त जानकारी के आधार पर खबर के तौर पर लिखी गई है। जबकि माननीय उच्‍च न्‍यायालय के आदेश कोर्ट की वेबसाइट से प्राप्‍त किए जा सकते हैं। खबर में कोर्ट के आदेशों की पूर्ण जानकारी शामिल नहीं है )

#DivyaHimachalNews #highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-07

पौंग बांध विस्थापित को चार सप्ताह में मिलेगी जमीन, हाई कोर्ट ने दिए सख्त निर्देश; जानें पूरा मामला

Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पौंग बांध विस्थापित को जमीन न मिलने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने चार सप्ताह में याचिकाकर्ता को जमीन आवंटित कराने के निर्देश दिए हैं। ऐसा नहीं होने पर राजस्थान के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने को कहा है।

प्रतिवादियों की ओर से अदालत में हलफनामा दायर किया। इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता को जमीन आवंटित करने के लिए कोई निर्विवाद भूमि उपलब्ध नहीं हैं। अदालत ने कहा कि राजस्थान सरकार की नाक के नीचे गंगानगर की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है और सरकार चुप बैठी है। हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और अन्य उत्तरदाताओं को अतिक्रमणकारियों को जमीन से हटाने के निर्देश दिए।

अदालत ने गंगानगर की चयनित जमीन को याचिकाकर्ता को आवंटित करने को कहा है। हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जिसने अपने राज्य में अपना चूल्हा चौका, जमीन और घर खो दिया है, उसे अपनों से बहुत दूर की जगह पर जमीन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके बावजूद जमीन नहीं दी जा रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।

#highCourtNews #himachalNews #PongDamDisplacedNews

मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-06

सुक्खू सरकार में हाई कोर्ट में जमा करवाए 64 करोड़ रुपए, जानें क्या है हिमाचल भवन की कुर्की से जुड़ा मामला

Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड के पक्ष में दिए हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेशानुसार 64 करोड़ रुपए ब्याज सहित जमा करवा दिए गए हैं। यह राशि हाईकोर्ट में सरकार की लंबित अपील में जमा करवाई गई है। प्रदेश सरकार द्वारा यह बात अनुपालना याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताई गई। सरकार ने इस राशि को समय पर कोर्ट में जमा न करवाने के दोषियों अधिकारियों से जुड़ी जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रखने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा जिसे स्वीकारते हुए न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की। उल्लेखनीय है कि इस मामले में अदालती आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट ने हिमाचल भवन, 27-सिकंदरा रोड, मंडी हाउस, नई दिल्ली को कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं।

कोर्ट ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा ऊर्जा विभाग के खिलाफ दायर अनुपालना याचिका पर सुनवाई के पश्चात‍् यह आदेश दिए थे। कोर्ट ने एमपीपी और पावर विभाग के प्रमुख सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने के आदेश भी दिए थे कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपए की 7 फीसदी ब्याज सहित कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों का पता लगाना इसलिए जरूरी है क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारी अधिकारियों/कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा। कोर्ट ने 15 दिनों की अवधि के भीतर जांच पूरी करने और जांच की रिपोर्ट अगली तारीख को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत के आदेश दिए थे।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता द्वारा जमा किए गए 64.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को याचिका दायर करने की तारीख से इसकी वसूली तक 7% प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था। इस फैसले पर खंडपीठ ने इस शर्त पर रोक लगा दी थी कि यदि प्रतिवादी उपरोक्त राशि कोर्ट में जमा करवाने में असमर्थ रहते हैं तो अंतरिम आदेश हटा लिए जाएंगे। राशि जमा न करने पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 15 जुलाई 2024 को एकल पीठ के फैसले पर लगाई रोक को हटाने के आदेश जारी किए। इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी-राज्य के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश नहीं है, इसलिए कोर्ट के आदेशों को लागू किया जाना इसलिए जरूरी है क्योंकि सरकार द्वारा अवार्ड राशि जमा करने में देरी से दैनिक आधार पर ब्याज लग रहा है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाना है।

#highCourtNews #himachalNews #shimlaNews

Client Info

Server: https://mastodon.social
Version: 2025.04
Repository: https://github.com/cyevgeniy/lmst