सिंधु जल संधि: पाकिस्तान की खेती पर गहराता संकट, मृत स्तर तक पहुंचा पानी का स्तर
International News: सिंधु जल संधि के निलंबन ने पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने यह कड़ा कदम उठाया। पाकिस्तान के बांधों में पानी का स्तर ‘मृत’ स्तर तक पहुंच गया है, जिससे खरीफ फसलों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। भारत की नई जल योजनाएं इस स्थिति को और जटिल बना सकती हैं।
पाकिस्तान में पानी का संकट
पाकिस्तान की पश्चिमी नदियां—सिंधु, झेलम और चेनाब—कृषि के लिए जीवनरेखा हैं। ये नदियां 80% सिंचाई का स्रोत हैं। सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद भारत ने इन नदियों के जल प्रवाह डेटा साझा करना बंद कर दिया। इससे पाकिस्तान के किसानों को फसल बोने में दिक्कत हो रही है। तरबेला और मंगला बांधों में पानी का स्तर खतरनाक रूप से कम है। पंजाब और सिंध प्रांतों में पानी की कमी से खेती प्रभावित हो रही है।
भारत की नई जल रणनीति
भारत अब सिंधु जल संधि के तहत आवंटित जल का पूरा उपयोग करने की योजना बना रहा है। जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी। यह नहर चेनाब को रावी-ब्यास-सतलुज से जोड़ेगी। इससे भारत अपनी पूर्वी नदियों का अधिकतम उपयोग कर सकेगा। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तीन साल में यह पानी राजस्थान के श्रीगंगानगर तक पहुंचेगा। इससे भारत की कृषि को लाभ होगा। अधिक जानकारी के लिए जल शक्ति मंत्रालय देखें।
जलविद्युत परियोजनाओं को गति
भारत चेनाब नदी पर बगलिहार और सलाल जलविद्युत परियोजनाओं में जलाशयों की सफाई कर रहा है। इसके अलावा, पाकल दुल, रतले, किरू और क्वार जैसी परियोजनाओं को तेज किया जा रहा है। ये परियोजनाएं भारत की ऊर्जा और सिंचाई जरूरतों को पूरा करेंगी। रणबीर नहर की लंबाई को 60 से 120 किलोमीटर करने का प्रस्ताव है। उझ बहुउद्देशीय परियोजना भी शुरू होगी, जो जम्मू-कश्मीर में सिंचाई और पेयजल उपलब्ध कराएगी।
पाकिस्तान की बढ़ती चिंता
पाकिस्तान में पानी की कमी से किसान परेशान हैं। खरीफ फसलों के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा। मानसून आने तक स्थिति और खराब हो सकती है। सिंधु जल संधि के निलंबन के कारण भारत अब जल प्रवाह की जानकारी साझा नहीं करता। इससे पाकिस्तान को बाढ़ या सूखे की चेतावनी नहीं मिलती। पंजाब और सिंध में पानी के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ रहा है। पाकिस्तान ने इस निलंबन को ‘युद्ध की कार्रवाई’ बताया है।
भारत की जल सुरक्षा
भारत की ये योजनाएं जलवायु परिवर्तन के दौर में जल सुरक्षा को मजबूत करेंगी। नहर और बांध परियोजनाएं जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में पानी की उपलब्धता बढ़ाएंगी। विशेषज्ञ उत्तम सिन्हा का कहना है कि यह रणनीति भारत की कृषि और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगी। हालांकि, इससे पाकिस्तान में पानी की कमी और गहरा सकती है।

