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मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-24

RSS प्रमुख मोहन भागवत संगठन के प्रमुख, हिंदुओं के नेता नहीं, जानें रामभद्राचार्य ने क्यों दिया ऐसा बयान

India News: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर संत समुदाय उबल रहा है। इस बीच जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक बार फिर आरएसएस प्रमुख के बयान पर अपना विरोध दर्ज कराया है। मुंबई में एएनआई से बात करते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, “…वे किसी भी संगठन के प्रमुख हो सकते हैं लेकिन वे हिंदू धर्म के प्रमुख नहीं हैं कि हम उनकी बातों पर चलते रहें। वे हमारे अनुशासक रहे हैं, हम उनका अनुसरण नहीं कर सकते।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं बीस बार कह रहा हूं कि वे हिंदू धर्म की व्यवस्था के ठेकेदार नहीं हैं। हिंदू धर्म की व्यवस्था हिंदू धर्म के आचार्यों के हाथ में है। वे पूरे भारत के प्रतिनिधि नहीं हैं।” जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि जो भी हमारी ऐतिहासिक चीजें हैं, हमें उन्हें प्राप्त करना चाहिए और हमें उन्हें लेना चाहिए, चाहे वे हमें कैसे भी मिलें। भले ही इसके लिए हमें साम, दाम, दंड, भेद अपनाना पड़े।

रामभद्राचार्य के अलावा कई अन्य संतों ने भी मोहन भागवत के बयान की आलोचना की है। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी भागवत के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हर जगह मंदिर बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

आपको बता दें कि पुणे में एक व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “धर्म प्राचीन है और धर्म की पहचान के साथ राम मंदिर का निर्माण किया गया है। यह सही है, लेकिन सिर्फ मंदिर बनाने से कोई हिंदुओं का नेता नहीं बन सकता। हिंदू धर्म सनातन धर्म है और इस सनातन और सनातन धर्म के आचार्य सेवाधर्म का पालन करते हैं। यह मानव धर्म की तरह सेवा धर्म है। सेवा करते समय हमेशा चर्चा से दूर रहना हमारा स्वभाव है।”

उन्होंने आगे कहा, “जो लोग बिना दिखावे के निरंतर सेवा करते हैं, उनमें सेवा की भावना होती है। सेवा धर्म का पालन करते हुए हमें अतिवादी नहीं होना चाहिए और देश की परिस्थिति के अनुसार मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। मानव धर्म ब्रह्मांड का धर्म है और इसे सेवा के माध्यम से प्रकट किया जाना चाहिए। हम विश्व शांति की घोषणा करते हैं, लेकिन अन्य जगहों पर अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति है? इस पर ध्यान देना जरूरी है। हमें अपना पेट भरने के लिए जो जरूरी है, वह करना चाहिए, लेकिन घर के कामों से परे जो कुछ भी हमारे पास है, हमें उसका दोगुना सेवा के रूप में देना चाहिए।”

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मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-24

धार्मिक मामलों पर धार्मिक नेताओं का निर्णय अंतिम, रामभद्राचार्य बोले, मोहन भागवत को धर्म के बारे नहीं जानकारी

RSS News: मंदिर-मस्जिद विवाद को बढ़ाने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह ने साधु-संतों की भौंहें चढ़ा दी हैं। साधु-संतों के संगठन अखिल भारतीय संत समिति (एबीएसएस) ने मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए उन्हें इससे दूर रहने की सलाह दी है। एबीएसएस के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ऐसे धार्मिक मामलों पर निर्णय धार्मिक नेताओं को लेना चाहिए, न कि आरएसएस जैसे ‘सांस्कृतिक संगठनों’ को।

उन्होंने कहा कि जब धर्म की बात आती है तो इसका निर्णय धार्मिक गुरुओं को करने देना चाहिए और वे जो भी निर्णय लेंगे, उसे संघ और विश्व हिंदू परिषद स्वीकार करेगी। इससे पहले जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भी मोहन भागवत के बयान को तुष्टिकरण करार देते हुए कहा था कि उन्हें हिंदू धर्म के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संघ प्रमुख की आलोचना की थी और उन पर राजनीतिक सुविधा के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया था।

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि भागवत पहले भी इस तरह के बयान दे चुके हैं और इसके बावजूद 56 नई जगहों पर मंदिर निर्माण की पहचान की गई है। इससे पता चलता है कि लोगों की इसमें रुचि है। उन्होंने कहा कि धार्मिक संगठन अक्सर जनभावना के आधार पर काम करते हैं, न कि राजनीतिक एजेंडे के आधार पर। यह पहली बार है कि धार्मिक नेताओं और धार्मिक संगठनों ने संघ प्रमुख की किसी बात पर इतनी तीखी प्रतिक्रिया दी है।

क्या कहा था संघ प्रमुख ने?

संभल में मस्जिद-मंदिर विवाद के बीच भागवत ने पिछले सप्ताह सहजीवन व्याख्यानमाला में कहा था, ‘राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोग सोचते हैं कि वे नई जगह पर इसी तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। उन्होंने कहा था कि राम मंदिर हिंदुओं की आस्था का विषय था, इसलिए मंदिर बना, लेकिन हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।’ उन्होंने यह भी कहा था, ‘भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम साथ रह सकते हैं। हम लंबे समय से सद्भावना के साथ रहते आए हैं। अगर हम दुनिया को यह सद्भावना देना चाहते हैं तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है।’

‘मंदिर हम वोट या कोर्ट से बनवाएंगे’

इस पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि वे मंदिरों को लेकर मोहन भागवत के बयान से सहमत नहीं हैं। संभल विवाद पर उन्होंने कहा कि मंदिर के मुद्दे पर संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा, जो कुछ भी हो रहा है वह गलत है लेकिन यह भी देखना होगा कि मंदिर होने के सबूत हैं या नहीं। हम इसे उठाएंगे। चाहे वोट के जरिए या कोर्ट के जरिए। संघ प्रमुख की सत्ता को चुनौती देते हुए रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मोहन भागवत हमारे अनुशासक नहीं हैं, बल्कि हम उनके हैं।

‘सत्ता मिलने के बाद खुद को अलग कर रहे हैं’

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भागवत पर राजनीतिक सुविधा के अनुसार बयानबाजी करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘जब उन्हें सत्ता मिलनी थी तो वह मंदिर-मंदिर जाते थे, अब जब सत्ता मिल गई है तो वह मंदिर न तलाशने की सलाह दे रहे हैं।’ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अतीत में हिंदू समाज पर काफी अत्याचार हुए हैं और हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया है। अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है? शंकराचार्य ने सुझाव दिया कि आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए मंदिरों की सूची तैयार की जानी चाहिए। इसके बाद हिंदू गौरव को वापस लाने के लिए उन संरचनाओं का एएसआई सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।

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मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-20

मंदिर-मस्जिद विवाद की लेकर नाराज नजर आए RSS प्रमुख मोहन भागवत, जानें मंदिरों से जुड़े मुद्दों को लेकर क्या दी सलाह

Mohan Bhagwat News: मंदिर-मस्जिद विवादों को लेकर RSS यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत नाराज नजर आए। उन्होंने लोगों से राम मंदिर जैसे मुद्दों को अन्य जगह नहीं उठाने की अपील की है। साथ ही उन्होंने तंज भी कसा है कि ऐसे मुद्दे उठाने वालों के लगता है कि वे हिंदू नेता बन जाएंगे। RSS चीफ सहजीवन व्याख्यानमाला में ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर बात कर रहे थे।

भागवत ने कहा, ‘हम लंबे समय से सद्भावना में रह रहे हैं। अगर हम इस सद्भावना को दुनिया तक पहुंचाना चाहते हैं, तो हमें एक मॉडल तैयार करना होगा। राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर ऐसे ही मुद्दों को उठाकर हिंदू नेता बन जाएंगे। यह स्वीकार्य नहीं है।’ उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण हुआ, क्योंकि वह सभी हिंदुओं की आस्था का सवाल था।

उन्होंने कहा, ‘हर रोज नया मामला उठाया जा रहा है। इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है। ऐसा नहीं चलेगा। भारत को यह दिखाना होगा कि हम सा रह सकते हैं।’ हालांकि, इस दौरान उन्होंने किसी भी खास मुद्दे या जगह का नाम नहीं लिया। हाल के दिनों में मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों तक पहुंची हैं।

अंग्रेजों ने डाली दरार- मोहन भागवत

उन्होंने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाए। उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है। इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं। अधिपत्य के दिन चले गए।’ उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन भी इसी तरह की कट्टरता से पहचाना जाता था, हालांकि उसके वंशज बहादुर शाह जफर ने 1857 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था।

उन्होंने कहा, ‘यह तय हुआ था कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं को दिया जाना चाहिए, लेकिन अंग्रेजों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी। तब से, अलगाववाद की भावना अस्तित्व में आई। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान अस्तित्व में आया।’

भागवत ने कहा कि अगर सभी खुद को भारतीय मानते हैं तो ‘वर्चस्व की भाषा’ का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘कौन अल्पसंख्यक है और कौन बहुसंख्यक? यहां सभी समान हैं। इस देश की परंपरा है कि सभी अपनी-अपनी पूजा पद्धति का पालन कर सकते हैं। आवश्यकता केवल सद्भावना से रहने और नियमों और कानूनों का पालन करने की है।’

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मोहित ठाकुरrightnewshindi@rightnewsindia.com
2024-12-01

मोहन भागवत के तीन बच्चों वाले बयान पर मचा सियासी घमासान, जानें कांग्रेस, सपा और ओवैसी ने क्या कहा

Delhi News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने जनसंख्या बढ़ोतरी की दर में गिरावट (प्रजनन दर) पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि जब किसी समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे गिर जाती है, तो वह समाज धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है. भागवत ने यह बयान एक कार्यक्रम के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने जनसंख्या नीति को लेकर अपनी चिंता जाहिर की.

क्या बोले RSS प्रमुख?

भागवत ने कहा, “आधुनिक जनसंख्या विज्ञान कहता है कि जब किसी समाज की जनसंख्या (प्रजनन दर) 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वह समाज दुनिया से नष्ट हो जाता है. वह समाज तब भी नष्ट हो जाता है जब कोई संकट नहीं होता है. इस तरह से कई भाषाएं और समाज नष्ट हो गए हैं. जनसंख्या 2.1 से नीचे नहीं जानी चाहिए.” उन्होंने यह भी कहा कि 2.1 की जनसंख्या वृद्धि दर बनाए रखने के लिए समाज को दो से अधिक बच्चों की आवश्यकता है, इस तरह उन्होंने तीन बच्चों की जरूरत पर जोर दिया.

भागवत ने बताई दो से अधिक बच्चों की जरूरत

RSS प्रमुख भागवत ने जनसंख्या नीति की ओर इशारा करते हुए कहा, “हमारे देश की जनसंख्या नीति वर्ष 1998 या 2002 में तय की गई थी, जिसमें यह कहा गया था कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए. यदि हम 2.1 की जनसंख्या वृद्धि दर चाहते हैं, तो हमें दो से अधिक बच्चों की जरूरत है. जनसंख्या विज्ञान भी यही कहता है. संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि समाज का बने रहना जरूरी है.”

सपा प्रवक्ता ने कही ये बात

हालांकि, मोहन भागवत के इस बयान पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. समाजवादी पार्टी (SP) के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि मोहन भागवत पिछले कुछ समय से जब कुछ बोलते है तो वह बीजेपी को असहज कर देता है.पिछली बार भी जब मोहन भागवत ने कहा था कि हर मस्जिद में मंदिर क्यों ढूंढना तब भी बीजेपी वाले जो केवल मंदिर मस्जिद की राजनीति करते हैं उनके पास कोई जवाब नहीं था.बीजेपी पूरे देश जनसंख्या को लेकर केवल राजनीति करने का काम कर रही है, सपा समझती है कि अब मोहन भागवत के बयान के बाद अब बीजेपी के पास जवाब नहीं होगा. सपा की विचारधारा भले rss से न मिलती हो लेकिन अगर कुछ उन्होंने सही कहा है तो सही को सही कहना गलत नहीं है.

कांग्रेस ने उठाया सवाल

कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी मोहन भागवत के बयान पर सवाल उठाए. कांग्रेस ने मोहन भागवत से सवाल करते हुए कहा कि, ‘⁠जो पहले से हैं उनको तो नौकरियां दिलवा दो, नौकरियां है नहीं, फसल की ज़मीन कम हो रही हैं. मोहन भागवत चाहते हैं कि 2 से ज्यादा बच्चे हों. देश में वैसे ही बेरोज़गारी है. जो आज युवा हैं उनको तौ नौकरियां मिल नहीं पा रही, फसल की जमीने कम होती जा रही है जबकि जनसंख्या बढ़ती जा रही है. चीन ने जहां आबादी कम कही है, तो वो आज महाशक्तिशाली बना है. मोहन भागवत चीन से सीख नहीं ले पा रहे और वो जनसंख्या के मामले में देश को शक्तिशाली बनाना चाहते हैं. मेरा तो उनको सुझाव है कि मोहन भागवत हैं, पीएम मोदी हैं, यूपी के सीएम योगी हैं तो सबसे पहले ये शुरुआत करें अगर इन्हे जनसंख्या की इतनी चिंता है तो, इनसे शुरुआत होनी चाहिए.

ओवैसी ने भी दी प्रतिक्रिया

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “भागवत जी कहते हैं कि जनसंख्या बढ़ानी चाहिए, लेकिन क्या वह यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चों को कुछ फायदा मिले? क्या वह गरीब परिवारों को हर महीने 1500 रुपये देंगे?” ओवैसी ने यह भी कहा कि भागवत को अपने समुदाय से उदाहरण लेकर दिखाना चाहिए.

भागवत के बयान के बाद जनसंख्या वृद्धि और जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर देशभर में बहस तेज हो गई है. विपक्ष ने इस पर राजनीति करने का आरोप लगाया है, जबकि संघ प्रमुख ने इसे समाज के अस्तित्व से जोड़ते हुए जनसंख्या नीति पर ध्यान केंद्रित किया है.

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2023-09-05

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