यूरिया खाद: हिमाचल में किसानों को समय पर नहीं मिल पा रही खाद, जानें क्या बोला हिमफेड
Himachal News: हिमाचल प्रदेश में यूरिया खाद की कमी ने किसानों को परेशानी में डाल दिया है। बरसात के बाद मक्की और धान की फसलों के लिए यूरिया खाद की सख्त जरूरत है, लेकिन आपूर्ति नहीं हो रही। प्रदेश ने सात हजार मीट्रिक टन खाद की मांग की थी, मगर केवल 1,600 क्विंटल स्वीकृत हुए। यह खाद भी हिमफेड के कार्यालयों तक नहीं पहुंची। किसान कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।
आपूर्ति में देरी का असर
किसानों का कहना है कि समय पर यूरिया खाद न मिलने से फसलों का विकास रुक सकता है। मक्की की बिजाई के बाद कीटनाशक और घास मारने की दवाइयों का छिड़काव हो चुका है। इसके तीन-चार दिन बाद खाद डालना जरूरी है। बिना खाद के फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा। किसानों ने हिमफेड से तुरंत खाद उपलब्ध कराने की मांग की है।
हिमफेड की मांग बेकार
हिमफेड ने पहली जुलाई को सात हजार बैग यूरिया खाद की मांग भेजी थी। लेकिन अभी तक एक भी बैग नहीं मिला। नालागढ़ कार्यालय में किसान रोज चक्कर लगा रहे हैं। हिमफेड के एरिया प्रबंधक गौरव ने बताया कि मांग भेजी जा चुकी है। जैसे ही खाद आएगी, इसे किसानों को बांट दिया जाएगा। लेकिन देरी से किसानों की चिंता बढ़ रही है।
किसानों की मुश्किलें
खेड़ा के अवतार सिंह, ढांग निहली के सदा राम और मझोली के सुच्चा सिंह जैसे किसानों ने बताया कि उन्होंने दो सप्ताह पहले मक्की बोई थी। खाद की कमी के कारण उनकी मेहनत पर पानी फिर सकता है। नंगल के टेक चंद और पंजेहरा के राजेंद्र कुमार ने कहा कि हिमफेड कार्यालयों में कोई जवाब नहीं मिल रहा। किसानों का धैर्य अब टूट रहा है।
बीबीएन में सबसे ज्यादा संकट
बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) क्षेत्र में यूरिया खाद की कमी सबसे गंभीर है। यहां मक्की और धान की फसलों के लिए खाद की सख्त जरूरत है। लेकिन हिमफेड के गोदाम खाली पड़े हैं। किसानों का कहना है कि अगर जल्द खाद नहीं मिली, तो उनकी फसलें खराब हो सकती हैं। यह स्थिति उनकी आजीविका के लिए बड़ा खतरा है।
मांग और आपूर्ति का अंतर
प्रदेश ने सात हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद की मांग की थी। लेकिन केवल 1,600 क्विंटल की स्वीकृति मिली है। यह मात्रा जरूरत का छोटा हिस्सा है। स्वीकृत खाद भी अभी तक हिमफेड के गोदामों तक नहीं पहुंची। नंगल प्लांट से आपूर्ति में देरी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। किसान अब त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
समय के साथ दौड़
किसानों का कहना है कि खाद डालने का समय बहुत महत्वपूर्ण है। बिजाई और कीटनाशक छिड़काव के बाद खाद डालने में देरी फसल की वृद्धि रोक सकती है। राजपुरा के सर्वजीत सिंह और दभोटा के सुरमुख सिंह ने बताया कि वे रोज हिमफेड कार्यालय जा रहे हैं। लेकिन खाद की अनुपलब्धता ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया है।
हिमफेड का आश्वासन
हिमफेड के प्रबंधक ने आश्वासन दिया है कि खाद जल्द उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि मांग भेजी जा चुकी है और आपूर्ति शुरू होने पर इसे तुरंत बांटा जाएगा। लेकिन किसानों का कहना है कि आश्वासनों से फसल नहीं बच सकती। वे चाहते हैं कि सरकार और हिमफेड इस संकट को गंभीरता से लें और तुरंत समाधान करें।
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