बुलडोजर कार्रवाई: उड़ीसा हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, 10 लाख का मुआवजा ठोका
Odisha News: उड़ीसा हाईकोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। गैरकानूनी रूप से सामुदायिक केंद्र गिराने पर सरकार को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने तहसीलदार से 2 लाख रुपये वसूलने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने इसे कानून की अवहेलना और शक्ति का दुरुपयोग बताया। यह फैसला प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करता है। सामुदायिक केंद्र के लोगों को न्याय की उम्मीद जगी।
कोर्ट की फटकार
हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई न्यायिक आदेशों की अवहेलना थी। यह कार्यपालिका की मनमानी दिखाता है। कानून के शासन का उल्लंघन हुआ। कोर्ट ने तहसीलदार को जिम्मेदार ठहराया। 2 लाख रुपये उनके वेतन से वसूलने का आदेश दिया। यह फैसला प्रशासन को जवाबदेह बनाने का कदम है। सामुदायिक केंद्र के लिए यह जीत है। लोगों में विश्वास बढ़ा।
तहसीलदार पर कार्रवाई
हाईकोर्ट ने तहसीलदार की भूमिका पर सवाल उठाए। सामुदायिक केंद्र को गैरकानूनी ढंग से गिराने का आदेश उन्होंने दिया। कोर्ट ने 10 लाख मुआवजे में से 2 लाख रुपये तहसीलदार के वेतन से वसूलने का निर्देश दिया। यह कदम अधिकारियों को मनमानी से रोकेगा। कोर्ट ने प्रशासनिक जवाबदेही पर जोर दिया। यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण है। सामुदायिक केंद्र के लोगों को राहत मिली।
बुलडोजर कार्रवाई का इतिहास
बुलडोजर कार्रवाई की शुरुआत उत्तर प्रदेश से हुई। योगी सरकार ने अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलवाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर फटकार लगाई। फिर भी यह कार्रवाई जारी है। मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों ने भी इसका अनुसरण किया। संगीन अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर चलाए गए। उड़ीसा का यह मामला अलग है। यहाँ सामुदायिक संपत्ति पर कार्रवाई हुई। हाईकोर्ट का फैसला इसे गलत ठहराता है।
न्याय की जीत
उड़ीसा हाईकोर्ट का फैसला सामुदायिक केंद्र के लिए राहत है। 10 लाख रुपये का मुआवजा लोगों के नुकसान की भरपाई करेगा। तहसीलदार से वसूली का आदेश जवाबदेही सुनिश्चित करता है। कोर्ट ने कार्यपालिका की मनमानी को रोका। यह फैसला कानून के शासन की जीत है। लोगों में न्याय की उम्मीद बढ़ी। उड़ीसा सरकार को भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी मिली। यह अन्याय के खिलाफ मजबूत कदम है।
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