शर्मिष्ठा पनोली मामला: कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत से इनकार किया, धार्मिक भावनाओं को ठेस का आरोप
West Bengal News: शर्मिष्ठा पनोली मामला ने कोलकाता में हलचल मचा दी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम जमानत देने से इनकार किया। शर्मिष्ठा ने सोशल मीडिया पर वीडियो डाला, जिसने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई। कोलकाता पुलिस ने 30 मई को उन्हें गुरुग्राम से गिरफ्तार किया।
वीडियो विवाद और गिरफ्तारी
शर्मिष्ठा पनोली मामला में पनोली ने ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी करते हुए वीडियो डाला। वीडियो में धार्मिक पहचान को निशाना बनाया गया। भारी विरोध के बाद उन्होंने वीडियो हटाया और माफी मांगी। फिर भी, कोलकाता पुलिस ने कार्रवाई की। 15 मई को गार्डन रीच थाने में FIR दर्ज हुई। पनोली को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
हाई कोर्ट की सुनवाई और टिप्पणी
कलकत्ता हाई कोर्ट ने शर्मिष्ठा पनोली मामला में सुनवाई की। जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, कोर्ट ने पुलिस से केस डायरी मांगी। कोर्ट ने कहा, भारत विविधतापूर्ण देश है। लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।
गिरफ्तारी पर कानूनी विवाद
शर्मिष्ठा पनोली मामला में पनोली के वकील ने दलील दी कि गिरफ्तारी अवैध थी। उन्होंने कहा, FIR में गैर-संज्ञेय अपराध थे और नोटिस नहीं दिया गया। पुलिस ने जवाब दिया कि नोटिस जारी किया गया था, लेकिन पनोली और उनका परिवार गुरुग्राम भाग गया। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
अन्य FIR पर रोक
शर्मिष्ठा पनोली मामला में कोर्ट ने गार्डन रीच FIR को मुख्य मामला माना। अन्य सभी FIR पर कार्रवाई रोक दी गई। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि इसी आरोप पर नई FIR दर्ज न हो। यह फैसला मामले को व्यवस्थित करने के लिए लिया गया। अगली सुनवाई 5 जून को होगी।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव
शर्मिष्ठा पनोली मामला ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस छेड़ दी। कोलकाता पुलिस ने कहा कि कार्रवाई कानूनी थी। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पनोली के वकील ने जेल में खराब सुविधाओं की शिकायत की। कोर्ट ने पुलिस को सुविधाएं सुनिश्चित करने को कहा। यह मामला सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर सवाल उठाता है।