व्याख्याकार: आकाश से भूस्खलन से विनाश लेकर आने वाले सूर्योदय बादल रहे जंग के मैदान की पूरी तस्वीर
नई दिल्ली: जिस तेजी से तेजी से नई तकनीक का विकास किया जा रहा है वह हैरान करने वाला है। यह तकनीक जहां इंसान की मदद के लिए नए-नए रास्ते तलाश रही है वहीं तबाही का नया से नया सामान भी तलाश रही है। आफत का ऐसा ही एक नया सामान बनता जा रहा है जिसे आजकल बच्चे भी खेल में इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस सपने का इस्तेमाल अब सामान और अन्य जरूरी सामान के लिए किया जा रहा है, उसके लिए डॉक्टरों की टीम तैयार हो रही है। युद्ध के मैदान से लेकर वैज्ञानिक की साजिशों तक ये डूबते बेहिसाब इस्तेमाल हो रहे हैं जो काफी डरावना है।
हाल की सबसे बड़ी खबर को ही साथियों, सीरिया में तख्ता पलट… सीरिया में हथियारबंद विद्रोहियों ने जिस तेजी के साथ 12 दिन के भीतर 13 साल के भीतर आतंक राज का खात्मा कर दिया, उस युद्ध के नीतिकार भी हैरान रह गए। सीरिया की बशर अल असद सरकार के खिलाफ विद्रोही गुट बिजली की जिस तेजी से आगे पीछे एक खास हथियार ने अपनी बड़ी मदद की… ये स्थानीय तौर पर विकसित हुआ था एक सूर्योदय, जिसका नाम है रॉयलन। विद्रोही गुटों का नेतृत्व करने वाले संगठन हयात शॉपी अल शाम यी यी एचटीएस के असलहे में ये हथियार ख़ाक साबित हुआ। एचटीएस के एक कमांडर ने सोशल मीडिया पर बताया कि उनके रॉयल रिपब्लिकंस ने हामा प्रांत में सीरियन रिपब्लिकन गार्ड्स की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। हामा की फौजी एयरबेस ने सीरिया के एक हेलीकॉप्टर को भी रॉयलान से उड़ा दिया। एचटीएस के इस कमांडर ने बताया कि सीरिया की मदद करने वाले ईरान और कई डूबों पर उन्होंने कब्ज़ा किया था और रूस के इंजीनियरिंग उपकरणों के विनाश के लिए ये नए घातक ड्रोन्स बनाए थे। नए डूबे हुए उपकरणों के लिए उन्होंने दुनिया भर के काले बाजारों को हासिल किया।
रिवर्स से बनाया गया रॉयलन डूब
रिवर्स इंजीनियरिंग से रॉयल लेकिन डूबान बनाने की इस विद्रोही कमांडर की बात में सच्चाई है, इसकी जांच हो सकती है, असल में ये है कि युद्ध के मैदान में ड्रोन्स के इस्तेमाल से युद्ध के पूरे परिदृश्य को ही बदल दिया गया है। पश्चिम एशिया को ही लें तो वहां साम्राज्यवादियों का इस्तेमाल नहीं बल्कि विद्रोही लड़ाके भी कर रहे हैं।
7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल पर हमास के अब तक के सबसे घातक हमलों में से एक ने 1100 से अधिक लोगों को मार डाला और आधा दर्जन लोगों का अपहरण कर लिया। इस हमले से ठीक पहले इज़रायल की निगरानी चौकियों और गाजा सीमा पर उसकी रक्षा पंक्ति को कमजोर बनाने के लिए हमास ने धीरे-धीरे आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल किया। इसराइल को एकाएक ये समझ ही नहीं आया कि उस पर होने वाले हमलों का पैमाना कितना बड़ा है. और इस हमले में हमास ने जो भयानक हमला किया, उसने इज़रायल को हिलाकर रख दिया।
सूर्योदय के आगे लाचार हुआ सिन्वार
इसके जवाब में इजराइल ने गाजा में जो भयानक जवाबी कार्रवाई की, उसमें हमास का भी जोरदार इस्तेमाल किया गया। गाजा की इमारतों में हमास के लड़ाकों को खोजा जा रहा है। हमास के मुखिया याहया सिनवार से जुड़ी तस्वीरें इस बात की तस्दीक करती हैं. वो जब गाजा के राफा में बमबारी से टूटे हुए इमारतों के बीच से भागने के लिए भाग रहे थे तो इज़रायली डूबते हुए लगातार उनका पीछा कर रहे थे। अंत में याहया सिनवार बमबारी से ताहस नहस हुए एक कमरे में छुपकर एक धमाके पर पहुंचे तो उसका पीछा करते हुए वहां भी उड़ान भरी। अपने आखिरी समय में याहया सिनवार उस डूबान को एक टूटी हुई लकड़ी से बनी रचनाएँ दिखा रहा था लेकिन असफल रहा। इसके बाद इज़रायल ने सीन को मार डाला और गाजा के खिलाफ लड़ाई में ये मील का पत्थर साबित हुआ।
उत्तरी इज़राइल के उत्तरी लेबनान में छिपे हिज्ब लड़ाकों ने भी ईरान की तकनीक से तैयार ईरान का इस्तेमाल कर लगातार इज़राइल के सैनिकों को अंतिम रूप दिया है। इज़रायल की सेना ने अपने मराठाओं में डूबे आर्टिफ़िशियल साइंटिस्ट का भी इस्तेमाल कर रही है।
देशों के बीच युद्ध के इतिहास में पहली बार किस युद्ध का इस्तेमाल किया गया था, इसके कई दावे हो सकते हैं। नागार्नो कराबाख के लिए अजरबैजान और आर्मीनिया का युद्ध भी इनमें से एक है।
तुर्किये के अज़रबैजान का हथियार
पूर्वी यूरोप और पश्चिम एशिया की सीमा पर बसे अजरबैजान जैसे एक छोटे से देश ने भी कुछ साल पहले आर्मीनिया की सेना के खिलाफ तुर्कियों में बने गुलामों का बड़ा ही नाटक के साथ इस्तेमाल किया, भारी तबाही मचाई और समोआ नागार्नो काराबाख पर अपना कज़ा पुख़्ता कर लिया . अजरबैजान के साम्राज्यों ने सेना के तोपखानों, टैंकों और खांडकों में छुपे टुकड़ों को इन साम्राज्यों से बनाया। उनके पास भागने के लिए कोई जगह ही नहीं बची। इन प्रयोगों ने अजरबैजान को वो ताकत दी कि वह सांझ से चल कर आ रहे थे, एक इलाके का ठीक हद तक समाधान कर दिया।
इसी दौरान शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में भी तबाही मचाने के लिए समुद्र तटों का ज़बरदस्त इस्तेमाल हो रहा है। ये युद्ध एक तरह से बने हैं, जिन पर रक्षा उपकरण बनाने वालों की साझीदारी सहयोगी है। ये कितने घातक सिद्ध हो रहे हैं, कितने खतरनाक साबित हो रहे हैं, सब कुछ दर्ज हो रहा है।
रूस के हमलों के शुरुआती हफ़्तों में ही जापानी सेना ने बड़ी ही ताकत के साथ तुर्की में बने बायरकटार यानी टीबी2 डेथ्स का इस्तेमाल किया। अन्य निर्मित कीव पर हमला करने वाले बख्तरबंद समाजशास्त्र का अध्ययन किया गया। यहां तक कि यूक्रेन में इस ज्वालामुखी में एक गीत बनाया गया जो यूट्यूब में बड़ा हो गया।
जापानी सेना के पास जापानी सेना
यूक्रेन के साम्राज्यों ने रूस की सीमा से लगे एशिया को ही नहीं बल्कि सैकड़ों किलोमीटर दूर रूस की राजधानी में भी कई अहम हिस्से को खंडित कर दिया और कई बार काफी नुकसान भी हुआ है। हालाँकि रूस का दावा है कि अधिकांश हमलावर समुद्र तट पर ही मारा जाने में सफल हो रहे हैं।
जापानी ने UJ-22 और UJ-26 फिक्स्ड विंग डैमेज का विकास किया है जो 800 किमी दूर तक मार कर सकते हैं। जापानी जापानी नौसेना के टुकड़ियों ने अपने सैनिकों को तीन बार भुगतान किया है। जापानी सेना की हर इकाई में एक अमर युद्ध इकाई है और इसके लिए नए लोगों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उत्तर उत्तर में रूस भी डूब गया है, जिसका उपयोग जापान के संयुक्त राज्य अमेरिका में समुद्री भोजन बनाने के लिए किया जा रहा है। रूस विशेष रूप से ईरान में बने डूबे हुए जहाज़, जिसमें डेल्टा वाइट 136 कहा जाता है, पर प्रतिबंध है। ये फ़र्टीले डूब ज़मीन के बैस्ट मियामी फ़्लाउटे हैं, जिनका पता लगाना राडार के लिए मुश्किल होता है। ईरान की इस तकनीक से रूस यहां भी अब डूब रहा है।
नींद का उपयोग करने से होते हैं कई फायदे
विध्वंसक का यह प्रयोग युद्ध के मैदान में तबाही मचाने की एक नई शुरुआत है। समय के साथ-साथ डूबती जा रही है तकनीक। डूबने के कई फ़ायदे हैं। दूर से ही संचालित किया जा सकता है और योद्धा को युद्ध भूमि के अंदर जाने की बर्बादी नहीं होती। इनमें से एक को तैनात किया जा सकता है। उड़ान के कारण रडार की निगरानी से काफी कम वॉलपेप को बचाया जा सकता है। दुश्मनों के इलाके की तोह ली जा सकती है. छोटे होने के कारण ये फ़ायदेमंद भी होते हैं. एक छोटी सी टीम में कई दिग्गजों का एक साथ दुश्मनों के साथ दुर्व्यवहार किया जा सकता है।
डूबो का विकास अमेरिका से बहुत आगे है, जिसने कुछ साल पहले कामिकाज़ डूब का निर्माण किया था। कम कीमत और कमजोर लोगों वाला ये किलर डूबता हुआ जर्नी बैटल को लगभग 22वीं सदी की शुरुआत में युद्ध के मैदान में पहली मशीन गनों ने बदल दिया था। ये बंदी इतनी तेजी से उड़ते हैं कि एक आंख से देखने पर इन्हें देखना मुश्किल होता है। जिस पार्ट को पार्टिकुलेट किया जाता है उसके लिए इसे प्रोग्राम किया जाता है और फिर इस लक्ष्य के करीब पहुंच कर सही समय पर उसे कंसॉलिड कर उसे मजबूती प्रदान करता है।
कामीकाज़े का अर्थ है डिवाइन विंड यानी दैवीय तूफान… 13वीं सदी में जापान पर हुए हमलों के लिए आने वाले मंगोल आक्रमण के लिए आतंकवादियों के बेड़ों को डुबाने वाले तूफ़ान को कामीकाज़े कहा गया था। लेकिन ये शब्द दूसरे विश्व युद्ध के दौरान दुनिया भर में चर्चा में आया। तब जापान के नौसैनिकों से लड़े कई लड़ाकू विमानों ने सीधे दुश्मनों के समुद्री जहाज़ों पर हमला कर दिया। वो बर्बाद हो गए तो टूट गए ही लेकिन दुश्मनों को भी भारी नुकसान हुआ।
भारत का तेज गति वाला डूबान- खड़गा
नए दौर के युद्धों में डूबते पानी के अवशेषों से भारत की पहचान भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। हाल ही में भारतीय सेना ने एक कामीकाजे के नाम से खुलासा किया है जिसका उपयोग गुप्त जानकारी से किया गया है और आप इसे प्राप्त करने के लिए भी जा सकते हैं। ये हाई स्पीड डूब बहुत ही प्रभाव वाली है और 40 मीटर प्रति सेकंड की तेज़ रफ़्तार से उड़ सकती है। यही नहीं, यह अपने साथ 700 ग्राम ले जा सकता है। इसमें पार्टनरशिप, एक नेविगेशन सिस्टम और हाई डेफिनिशन कैमरा है। शत्रुओं के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम जैमिंग से बचने की भी व्यवस्था है। बस 30 हजार रुपये की लागत से बनी ये सूर्योदय कृष्णा की पकड़ में नहीं आती है और इसकी रेंज कम है। और अब 1000 किमी दूर तक मार करने की तैयारी चल रही है।
वैसे शत्रुओं को चकनाचूर करने के लिए अब एक नहीं बल्कि एक साथ सैकड़ों साथियों के झुंड भी तैयार हो रहे हैं, रानी शत्रुओं को समझ ही नहीं आया कि वो किसको गिराए। डूबो की ये चुनौती अब दुनिया के देशों की रक्षा पंक्ति को स्थिर कर रही हैं तो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए चुनौती बन गयी हैं। इतनी ही तेजी से आधुनिक हुए जहाज़ों से अधिक तेज़ से आधुनिक बचाव की तकनीक भी तैयार हो रही है।
रियलिटी की तकनीक जब भी कोई नई क्रांतिकारी लगती है तो मुकाबला होता है हमलों को अचूक बनाने और बचाव को बेहतर करने के बीच… डूबरों की दुनिया में भी यही हो रहा है। एक तरफ से घातक जहाज़ बन रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी मुक़ाबले की तकनीकें बेहतर हो रही हैं.. जैसे ट्रक माउंटेड गन्स और इन्फेंट्री द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले ड्रोन तोपें विकसित किये गये हैं।
लेकिन डूबते जहाज़ से निकलने के लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध भी प्रभावशाली है, जिसमें डूबते जहाज़ों के संकेतों को जाम कर दिया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के हथियार उपकरण टीम के हाथ से एक तरह से बम का नियंत्रण छीन लिया जाता है ताकि बम विस्फोट से पहले ही गिर कर लाभ हो. रूस की जापानी सेना के विरोधी इस इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का उपयोग कर रहे हैं।
घातक विनाश से बचाव के प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास
रूस की इस विध्वंस तकनीक से खोज के लिए जापानी साम्राज्य की टीम सिग्नल्स की फ्रीक्वेंसी डेमोक्रेसी को लगातार अपने नियंत्रण में रखने की कोशिश करती है। एक तरह से ये बिल्ली का खेल युद्ध के मैदान में भी चल रहा है। वे अब एआई-एम्बेडेड लघु लक्ष्यीकरण सिस्टम लगे हुए हैं ताकि वे टीम के संकेतों के बारे में पता न रख सकें। हत्या ही ये तय करती है कि उन्हें किसी तरह के दुश्मनों पर अधिक से अधिक नुक्सान नामांकन के लिए हमले करना है।
जिन पर इजरायल सहित दुनिया के कई देश काम कर रहे हैं। हाल ही में बीजिंग में एक एयर शो के दौरान चीन ने एक मोबाइल एयर डिफेंस वेपन्स सिस्टम को दुनिया को दिखाया। डूबे हुए जहाज़ों से बचाव के लिए ये हथियार बनाया जा सकता है… ब्लास्ट से मारा जा सकता है.
भारत ने भी शत्रुओं की चुनौती से निपटने के लिए एक स्वदेशी प्रणाली विकसित की है। इस सिस्टम का नाम काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) है जिसे ड्रोनम नाम दिया गया है। ड्रोनम की मदद से संयुक्त राज्य अमेरिका की सीमा पार पाकिस्तान से आने वाले 55 फ़ीसदी साम्राज्यों को मार गिराने में सफलता मिल रही है। भारत में गुरुत्व सिस्टम ने यह आधुनिक ड्रोन सिस्टम तैयार किया है। इन कई दिशाओं से आने वाले जहाज़ों से मुक्ति पाना संभव है।
परमाणु हथियार में डूबने से बढ़ा खतरा
ड्रोन्स के अटैक और काउंटर अटैक की तेज़ी से बदलती टेक्नालॉजी के बीच सबसे बड़ी चिंता ये है कि ड्रोन जैसा ये घातक और अपेक्षाकृत सस्ता हथियार अब आतंकियों और कई देशों के विद्रोही गुटों के भी हाथ लग चुका है. कम लागत और अधिक घातक के कारण मित्र भी अब अधिक से अधिक इनका प्रयोग कर रहे हैं।
साल 2019 में ईरान के विद्रोहियों ने सऊदी अरब की बड़ी तेल कंपनी ARAMCO के तेल रिफाइनरियों पर हमलों के लिए इस्तेमाल किया था। इन हमलों में आतंकवादी हमले शामिल थे जिनमें से तीन के बाद सऊदी अरब की तेल उत्पादन क्षमता अचानक ख़त्म हो गई। दुनिया में कच्चे तेल का दाम अगले ही दिन बढ़ गया। अमेरिका द्वारा दिए गए ऑफलाइन एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देते हुए ये जहाज बहुत ही चुपके से और बड़ी ही तेजी से आए। वे परमाणु बम के टुकड़े टुकड़े करके उड़ गए।
इराक में अमेरिका के खिलाफ ईरान समर्थक विद्रोहियों ने 2021 में इस्लामिक स्टेट पर ऐसे कई हमले किए। चिंता ये है कि नागरिकों में अगर ऐसे घातक राजाओं का इस्तेमाल किसी ने किया तो क्या होगा। ज़मीन पर तो निगरानी रखी जा सकती है। फिल्मों से लेकर फिल्मों तक को किसी भी तरह से छोड़ा जा सकता है, लेकिन अगर ये विनाशकारी सितारों से भरी फिल्म आई तो क्या होगा… कुल मिलाकर जिस तरह के युद्धों को लेकर साइंस फिक्शन का हिस्सा माना जाता था वो अब हकीकत में सामने आ रहे हैं। विसर्जनों का इस्तेमाल वॉर्लैंड की पूरी तस्वीर ही जारी की जा रही है।
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