हिमाचल हाईकोर्ट: अदालत ने रेरा नियुक्ति में देरी पर अपनाया कड़ा रुख, सरकार पर लगाया 5 लाख का जुर्माना
Himachal News: हिमाचल प्रदेश में हिमाचल हाईकोर्ट ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में देरी के लिए राज्य सरकार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सरकार को यह राशि सोमवार तक कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करने का निर्देश दिया गया है। यह कदम रेरा के कामकाज में पारदर्शिता और गति लाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस रंजन शर्मा की खंडपीठ ने सरकार की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने पूछा कि रेरा कार्यालय को शिमला में स्थानांतरित करने का बहाना बनाकर नियुक्तियां क्यों रोकी गईं। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कार्यालय स्थानांतरण का कोई ठोस कारण नहीं बताया गया। सरकार को 25 जून तक अध्यक्ष और सदस्यों के नाम अधिसूचित करने का अंतिम मौका दिया गया है, अन्यथा कोर्ट सख्त न्यायिक आदेश जारी करेगा।
मुख्य सचिव को तलब
हिमाचल हाईकोर्ट ने चयन समिति की सिफारिशों को लागू न करने पर भी सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया। सरकार ने हलफनामे में बताया कि रेरा के एक सदस्य विधुर मेहता की नियुक्ति हो चुकी है, जबकि अध्यक्ष और एक अन्य सदस्य की नियुक्ति पर जल्द फैसला लिया जाएगा। कोर्ट ने इस जवाब को अपर्याप्त माना।
मुख्य सचिव के सेवा विस्तार पर विवाद
हिमाचल हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के छह महीने के सेवा विस्तार पर भी सवाल उठाए। एक जनहित याचिका में आरोप है कि सक्सेना के खिलाफ सीबीआई और विजिलेंस में मामले लंबित हैं, फिर भी सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाया। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि सेवा विस्तार की अधिसूचना क्यों नहीं जारी की गई। इस मामले में भी सरकार को हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है। अधिक जानकारी के लिए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट देखें।
रेरा नियुक्तियों का महत्व
रेरा नियुक्तियां हिमाचल में रियल एस्टेट क्षेत्र की पारदर्शिता के लिए जरूरी हैं। देरी से होमबायर्स और डेवलपर्स को होने वाली असुविधा पर हिमाचल हाईकोर्ट ने चिंता जताई। कोर्ट का यह कदम जनता के हित में एक मजबूत संदेश देता है।